डीएनए हिंदीः हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने की घोषणा की थी. इसके तहत अगले साल जनवरी महीने से 15-18 साल के बच्चों को भी वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया जाना है. इस फैसले से जहां कई लोग काफी खुश और संतुष्ट नजर आ रहे हैं, वहीं वरिष्ठ एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. संजय . के. राय ने इसे लेकर अपनी आपत्ति जताई है. डॉ. राय इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और AIIMS में बड़ों और बच्चों पर कोवैक्सिन का जो ट्रायल चल रहा है उसमें इनवेस्टिगेटर भी हैं.

अवैज्ञानिक है बच्चों को वैक्सीन लगाने का फैसला
डॉ. राय ने बच्चों को वैक्सीन लगाने के फैसले को अवैज्ञानिक बताया है. उनका कहना है कि इस फैसले पर अमल करने से पहले उन देशों के डाटा को स्टडी करनी चाहिए, जहां पहले ही बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है. अगर इसके फायदे और नुकसान देखे जाएंगे तो बच्चों को वैक्सीन लगाने के फायदे कम हैं और खतरे ज्यादा हैं. 

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प्रधानमंत्री को किया ट्वीट
डॉ. राय ने PM ऑफिस को ट्वीट करते हुए अपनी ये नाखुशी जाहिर की है. उन्होंने लिखा, 'देश के प्रति निस्वार्थ सेवा और सही समय पर फैसले लेने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत बड़ा फैन हूं, लेकिन बच्चों के वैक्सीनेशन पर उनके अनसाइंटिफिक फैसले से मैं निराश हुआ हूं. डॉ. राय ने कहा कि किसी फैसले का कोई मकसद होना चाहिए. बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने के पीछे मकसद क्या है, इंफेक्शन रोकना या बीमारी की गंभीरता या मौत का खतरा कम करना. वैक्सीन के बारे में हमें जो भी थोड़ी-बहुत जानकारी है, उसके मुताबिक वैक्सीन इंफेक्शन को रोकने में बहुत कारगर नहीं हैं. कई देशों में बूस्टर डोज लेने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं.

वयस्कों के लिए वैक्सीन सही, बच्चों के लिए नहीं
डॉ. राय का कहना है कि कोरोना के कारण वयस्कों का डेथ रेट 1.5% है, यानी 10 लाख आबादी में 15,000 मौतें हो सकती हैं. वैक्सीनेशन के जरिए हम 80-90% मौतों को रोक सकते हैं, यानी 13 हजार से 14 हजार मौतों को रोका जा सकता है. वैक्सीन लगने के बाद 10 लाख लोगों में से 10 या 15 लोगों में ही गंभीर साइड इफेक्ट दिखते हैं या मौत होती हैं. ऐसे में वयस्कों के लिए वैक्सीन फायदेमंद है. बच्चों के मामले में इंफेक्शन की गंभीरता बहुत कम है. मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक 10 लाख आबादी में सिर्फ 2 मौतें दर्ज की गई हैं. बच्चों के मामले में 15 हजार मौतें नहीं हो रही हैं. बच्चों को वैक्सीन लगाने के फायदे कम हैं और खतरा ज्यादा है. ऐसे में बच्चों को वैक्सीन देने से हमारा कोई  मकसद पूरा नहीं हो रहा है.

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अमेरिका समेत कुछ देशों में बच्चों को 4-5 महीने पहले वैक्सीन डोज देना शुरू किया गया है. इन देशों का आंकड़ा हमें देखना चाहिए और उसकी स्टडी करने के बाद तय करना चाहिए कि बच्चों को वैक्सीन लगानी चाहिए या नहीं.

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बच्चों के वैक्सीनेशन का विरोध कर रहे हैं एम्स के डॉक्टर संजय के राय
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