Real Estate in Delhi NCR: दिल्ली-NCR में घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना है. देश की राजधानी में या उसके करीब रहने की इच्छा लेकर हर राज्य से लोग यहां आते हैं और काम-धंधे जमाकर बस जाते हैं. लेकिन दिल्ली-NCR में घर खरीदना अब धीरे-धीरे आम आदमी के बूते से बाहर की बात होती जा रही है. कोरोना के बाद ठंडा पड़ गएए रियल एस्टेट सेक्टर में अचानक फिर से प्राइस बूम दिखने लगा है. खासतौर पर पिछले 1-2 साल के दौरान घरों की कीमतों ने आसमान छूना शुरू कर दिया है. इसके चलते आम आदमी की जेब घर खरीदने के लिए छोटी लगने लगी है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में इन हालात के लिए भवन निर्माण की लागत में तेजी से हुई बढ़ोतरी को कारण बताया गया है.
चार साल में 40% तक बढ़ गई है निर्माण की लागत
भवन निर्माण की लागत पिछले चार साल के दौरान तेजी से बढ़ी है. कोलीयर्स इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 4 वर्षों में देश में भवन निर्माण के लागत में तेजी से वृद्धि हुई है. निर्माण के लिए आवश्यक सामग्रियों के साथ-साथ मजदूरों का पारिश्रमिक भी इसमें शामिल है, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाले मजदूरों की लागत का हिस्सा इसमें ज्यादा है, जबकि आवश्यक सामग्रियों का हिस्सा सीमित है. इस कारण निर्माण की औसत लागत वर्ष 2020 में 2,000 रुपये प्रति वर्ग फीट से बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 2,800 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है. यह लागत में लगभग 40% की बढ़ोतरी है. यदि पिछले एक साल की ही बात करें तो निर्माण लागत में सीधे 11-12% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इससे पहले के सालों में यह बढ़ोतरी 5-8% तक थी. साल 2020 में 2,000 रुपये से साल 2024 में 2,800 रुपये वर्ग फीट तक पहुंची औसत लागत 2021 में 2,200 रुपये, 2022 में 2,300 रुपये और 2023 में 2,500 रुपये प्रति वर्ग फीट थी.
नई तकनीकों व क्वालिटी वाली सामग्री के इस्तेमाल से भी बढ़ी है लागत
निर्माण लागत को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले कारक में अच्छी क्वालिटी वाले मजदूरों की श्रेणी है, जिसके कारण निर्माण लागत लगभग 25% तक प्रभावित हुआ है. डेवलपर्स द्वारा अपनी परियोजनाओं के कम समय में बढ़िया क्वालिटी, मजबूती एवं फिनिशिंग देने के लिए निर्माण में अब माईवन/ एल्युमिनियम शटरिंग, इको-फ़्रेंडली और निर्माण के नवीनतम तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल किया जा रहा है. इस प्रणाली पर काम करने वाली स्किल्ड लेबर की मांग बढ़ी है. इसका असर लेबर फीस पर पड़ा है, जो पहले से ज्यादा हो गया है.
सीमेंट-स्टील की कीमत घटी, लेकिन बाकी मटीरियल हुआ महंगा
निर्माण लागत प्रभावित करने वाले दूसरे कारकों में स्टील, सीमेंट, कॉपर व एल्युमिनियम भी शामिल है. आप हैरान हो जाएंगे कि भवन निर्माण में भारी मात्रा में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट की कीमतों में पिछले एक वर्ष में 15% की कमी हुई है. साथ ही सीमेंट के बाद निर्माण कार्यों में सबसे ज्यादा यूज होने वाले स्टील की कीमतें भी पिछले एक साल में 1% नीचे गई हैं. इसके उलट कॉपर के रेट में 19% और एल्युमीनियम के दाम में 5% की बढ़ोतरी हुई है. इसके चलते सीमेंट-स्टील सस्ता होने पर भी निर्माण की लागत में मामूली बढ़ोतरी दिखाई दे रही है. रिपोर्ट में रियल एस्टेट संस्थानों द्वारा नई तकनीक के आधार पर कार्य करने लायक स्किल्ड लेबर तैयार करने और उनकी सुरक्षा के उपायों पर भी पैसा खर्च करने की बात कही गई है, जिसका अस निर्माण लागत पर पड़ता है.
क्या कहते हैं इस बारे में बिल्डर्स
क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता के मुताबिक, हर साल निर्माण कार्य कम से कम 2 या 3 महीने प्रतिकूल कारणों से प्रभावित होता है. इसकी भरपाई करने और समय से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए डेवलपर्स द्वारा नई तकनीकें अपनाई जा रही हैं, जिससे निर्माण पहले से कम समय में हो रहा है. निर्माण की गुणवत्ता को भी ऐसे स्तर तक लाया गया है कि तैयार बिल्डिंग की क्षमता सालों तक उत्तरी भारत के जबरदस्त बदलते मौसम के प्रभाव को झेल सके.
निराला वर्ल्ड के सीएमडी सुरेश गर्ग के मुताबिक, एल्युमीनियम फोम शटरिंग (AFS) बेहद महंगा है. एएफएस के साथ निर्माण के लिए अधिक कंक्रीट और स्टील की भी आवश्यकता होती है, क्योंकि सभी दीवारें केवल इन्हीं से बनाई जाती हैं. लगभग 95% भवन निर्माण अब एल्युमिनियम शटरिंग पर किए जा रहे है. जिस पर काम करना परंपरागत तकनीक की तुलना में पूर्णतः अलग होता है. टावर को बेहतर क्वालिटी और फिनिशिंग देने के लिए अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, जिनकी उपलब्धता एक चुनौती है. इसके लिए हम ऐसे अनुभवी लोगों को चुनते हैं, जो नए सिस्टम के अनुसार काम करने के साथ-साथ नए श्रमिकों को भी प्रशिक्षण दे सकें. इससे इस मॉडल पर काम करने लायक अधिक श्रमिक तैयार हो सकें. इससे समय और लागत दोनों प्रभावित हो रही है.
ईरोस ग्रुप के निदेशक अवनीश सूद के अनुसार, रियल एस्टेट में भवन निर्माण में नई तकनीक और वातावरण के अनुकूल ढांचा का निर्माण का मिश्रण करना समय की मांग है, जिससे अप्रत्याशित रूप से बदलते मौसम और कम ज्यादा होते तापमान में घर खरीदारों को अच्छे से अच्छे क्वालिटी का घर दिया जा सके. हमारे द्वारा अपने पूर्व अनुभवों को अपनी आवासीय परियोजना के लिए भी इस्तेमाल किया गया है, जिसमें हमने शुरू से ही निर्माण हेतु नवीनतम और इको-फ़्रेंडली तकनीक का इस्तेमाल किया है. इसके लिए उस स्तर के ट्रेंड टीम और हाई क्वालिटी मटीरियल का इस्तेमाल करना भी आवश्यक है और इस कारण लागत का बढ़ना स्वाभाविक है.
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Real Estate सेक्टर में फिर से आया है प्राइस बूम, क्या महंगी निर्माण लागत बढ़ा रही घरों की कीमत?