डीएनए हिंदी: भारत की आजादी  की लड़ाई में जिन क्रांतिकारियों ने अपना योगदान दिया था उनमें चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के साथ पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) का भी नाम लिया जाता है. 11 जून को बिस्मिल का जन्मदिन होता है. एक लेखक रूप में राम प्रसाद बिस्मिल कई भूमिका में रहे लेकिन उनका मूख्य कार्य देश के युवाओं को प्रेरित करने का रहा. जिसमें वह हमेशा सफल रहे.

पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 11 जून 1897 में एक बिस्मिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी माता का नाम मूलारानी और पिता का मुरलीधर था. बहुत कम लोग जानते हैं कि बिस्मिल क्रांतिकारी होने से साथ केवल केवल शायर ही नहीं बल्कि एक लेखक, इतिहासकार, साहित्यकार और बहुभाषी अनुवादक भी थे. उन्होंने  लेखन और कविताओं के लिए राम और अज्ञात उपनाम रखे थे.

किताबें बेचकर क्रांतिकारी कार्यों में लगाया
बताया जाता है कि बिस्मिल देश के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने खुद की पुस्तकों को बेचकर उसके पैसों का उपयोग क्रांतिकारी कार्यों में किया था. इसका प्रभाव यह हुआ कि अंग्रेजों ने उनकी सारी पुस्तकें जब कर लीं थी. आज राम प्रसाद बिस्मिल की एक भी पुस्तक उपलब्ध नहीं है. 30 साल के छोटे से जीवन काल में उन्होंने 11 पुस्तकें प्रकाशित करवाईं थीं.

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कांतिकारी गतिविधियों में रग गए थे बिस्मिल
बता दें कि जब भाई परमानंद की फांसी की सजा कालापानी में बदली और बाद में 1920 में छोड़ भी दिए गए. लेकिन तब तक बिस्मिल का संसार पूरी तरह बदल चुका था. इससे पहले अंग्रेजों के खिलाफ कई तरह के काम कर उन्हें चकमा दे चुके थे. बिस्मिल के जीवन में मैनपुरी षड़यंत्र भी काकोरी कांड से कम अहम नहीं है.

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क्या था मैनपुरी षड़यंत्र
राम प्रसाद बिस्मिल ने औरैया के क्रांतिकारी पंडित गेंदालाल दिक्षित के साथ हथियारों से लैस होकर मातृदेवी संगठन के तहत अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था. इस दौरान 50 से ज्यादा अंग्रेज सैनिक मारे गए थे. इस अभियान में बिल्मिल की संगठनात्मक और नेतृत्व क्षमता सामने आई थी. जिसके बाद कई युवा बिस्मिल के साथ जुड़ गए और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में साथ दिया.इस घटना के बाद अंग्रेज उनके पीछे पड़ गए और एक मुखबिर की गद्दरी की वजह से एक मुकाबले में 35 क्रांतिकारी शहीद हो गए और आंदोलन की नाकामी के बाद बिस्मिल को 2 साल के लिए भूमिगत होना पड़ा लेकिन अंग्रेजों के हाथ नहीं आए. लेकिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अशफाक उल्लाह खान, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह के साथ 19 दिसंबर फांसी की सजा दी गई.

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Ram Prasad Bismil Birth Anniversary When Bismil became a revolutionary leaving his pen
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Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: जब कलम छोड़ क्रांतिकारी बन गए थे बिस्मिल
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पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (फाइल फोटो)
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पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (फाइल फोटो)

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Ram Prasad Bismil Birthday: जब कलम छोड़ क्रांतिकारी बन गए थे बिस्मिल, आजादी के लिए बेच दी किताबें