डीएनए हिंदी: तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान आंदोलन के कर्ता-धर्ता राकेश टिकैत मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक हैं. उन्होंने अब सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार किसी भी तरह का नियम कानून बनाने के पहले किसानो से बातचीत करे अन्यथा आगे फिर आंदोलन की तैयारी की जा सकती है. उन्होंने इस दौरान दूध को लेकर ऑस्ट्रेलिया से होने वाले करार का विरोध भी किया है.
दूध कॉन्ट्रैक्ट पर आक्रोश
किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने हालिया बयान नें कहा, "अब केंद्र सरकार (Central Government) ऑस्ट्रेलिया के साथ दूध खरीदने को लेकर अगले महीने समझौता करने जा रही है. वहीं दूध 20-22 रुपए प्रति किलो के दाम पर बेचने की योजना है." टिकैत ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, "जब तक किसान संबंधी किसी भी मुद्दे को लेकर सरकार नीति बनाने से पहले किसान से बात नहीं करेगी तो सरकार को कोई भी कृषि कानून नहीं बनाने दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने देश के हालातों पर चिंता जताई है.
निजी करण पर भी दिखा आक्रोश
देश की मोदी सरकार से प्रत्येक मोर्चे पर लोहा लेते हुए राकेश टिकैत अब प्रत्येक मुद्दे पर किसी विपक्षी नेता की तरह सरकार को घेर रहे हैं. उन्होंने कहा, "सरकार की तानाशाही नहीं चलने दी जाएगी. बैंकिंग को निजी सेक्टर में लाकर देश के किसानों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज में लाना है. दिल्ली और चंडीगढ़ में जो नीतियां बनाई जाती है वह जनहित के लिए नहीं होती. उन्होंने कहा कि मजदूर और किसान की लड़ाई बाकी है."
किसानों की ताकत अहम
किसान आंदोलन की सफलता के बाद अब राकेश टिकैत ये दिखाने की कोशिश करते रहे हैं कि प्रत्येक मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर सकते है. उन्होंने कहा, "देश के लोग कहते थे कि यह मोदी है तो मुमकिन है. मोदी आंदोलन को खत्म कर देगा लेकिन किसानों की एकता ने यह बता दिया कि अगर एकता हो बड़े से बड़े तानाशाह को भी झुकना पड़ता है और माफी भी मांगनी पड़ती है."
राकेश टिकैत ने एक बार फिर मोदी सरकार की नीजीकरण की आलोचना करते हुए कहा बैंकों को बेचने का आरोप मढ़ा है. वहीं भाजपा को सांप्रदायिक भी बताया है.
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