डीएनए हिंदी: Supreme Court News- रेल किराये में बुजुर्गों को मिलने वाली छूट को दोबारा बहाल किए जाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कहा कि यह नीतिगत निर्णय है, जिसके लिए सरकार को निर्देश देना उचित नहीं होगा. इस पर सरकार को ही फैसला लेना चाहिए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट पर मिलने वाली छूट को दोबारा बहाल करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. वरिष्ठ नागरिकों को यह छूट साल 2020 में कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले तक दी जाती थी, लेकिन महामारी के दौर में रेलवे को हो रहे घाटे की भरपाई और बुजुर्गों की ज्यादा आवाजाही रोकने के लिए इस छूट को खत्म कर दिया गया था.

याचिकाकर्ता ने कहा था 'ये सरकार की ड्यूटी'

सुप्रीम कोर्ट में एमके बालाकृष्णन नामक व्यक्ति ने याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को किराये में छूट देना सरकार की ड्यूटी बताया था. इस याचिका पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई के बाद बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए संविधान के अनुच्छेद-32 का हवाला दिया. बेंच ने कहा, अनुच्छेद-32 के तहत सरकार को इस पर आदेश जारी करना उचित नहीं होगा. यह मामला वरिष्ठ नागरिकों की जरूरत से जुड़ा है. इसे ध्यान में रखते हुए और इसके संभावित वित्तीय प्रभाव पर विचार कर सरकार को ही फैसला लेना होगा.  

संसदीय समिति भी कर चुकी है छूट बहाली की सिफारिश

हाल ही में संसद की एक स्थायी समिति ने वरिष्ठ नागरिकों को किराये में दी जाने वाली छूट बहाल करने की सिफारिश सरकार से की थी. भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेल मंत्रालय संबंधी संसद की स्थायी समिति की यह रिपोर्ट 13 मार्च, 2023 को लोक सभा और राज्यसभा में पेश की गई थी. हालांकि इस पर रेलवे मंत्रालय ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.

पहले मिलती थी इतनी छूट

20 मार्च, 2020 को देश में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट बंद की गई थी. इससे पहले रेल टिकट पर 60 साल से ज्यादा उम्र वाले वरिष्ठ पुरुष नागरिकों को किराये में 40% की छूट मिलती थी, जबकि 58 साल या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए यह छूट 50% की थी. यह छूट शताब्दी, राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के टिकट पर भी मिलती थी.

रेलवे ने शुरू की थी 'वरिष्ठ नागरिक रियायत छोड़ें' पहल

रेलवे मंत्रालय ने कोविड काल से पहले ही वरिष्ठ नागरिकों के टिकट में मिलने वाली छूट पर कैंची चलानी शुरू कर दी थी. इसके लिए रेलवे ने 'वरिष्ठ नागरिक रियायत छोड़ें' पहल शुरू की थी, जिसमें राष्ट्रीय विकास में योगदान चाहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को बिना छूट लिए पूरा किराया देकर टिकट बुक कराने का विकल्प दिया गया था. 

रेलवे करता है छूट से भारी घाटे का दावा

संसदीय स्थायी समिति की तरफ से छूट बहाल करने की सिफारिश के बाद भी रेलवे इसे अपने लिए घाटे का सौदा बताकर लागू करने को तैयार नहीं है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश होने पर कहा था कि इससे रेलवे को भारी घाटा होता है. उन्होंने बताया था कि साल 2019-20 में ही रेलवे को सीनियर सिटीजन पैसेंजर फेयर (Senior Citizen Passenger Fare) में छूट देने पर 1,667 करोड़ रुपये का राजस्व गंवाना पड़ा था. उन्होंने बताया कि रेल में सफर करने वाले हर यात्री को सरकार औसतन 53 फीसदी सस्ता टिकट दे रही है, जो एक तरह की सब्सिडी है. इसके चलते साल 2019-20 में ही रेलवे को इस सब्सिडी के तहत 59,000 करोड़ रुपये की भारी रकम खर्च करनी पड़ी है. 

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Railway News supreme court denied restore senior citizen train ticket fare concession rejects plea
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Railway News: रेल किराये में छूट पर बुजुर्गों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कह
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railway ticket concession for senior citizen (File Photo)
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Railway News: रेल किराये में छूट पर बुजुर्गों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कह दी ऐसी बात