डीएनए हिंदी: Raghav Chadha Bungalow Case Updates- दिल्ली हाई कोर्ट ने आप नेता राघव चड्ढा के सरकारी बंगला खाली करने पर निचली अदालत से लगी रोक का आदेश खारिज कर दिया है. इसके बावजूद आम आदमी पार्टी के सांसद चड्ढा को फिलहाल अपना बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा. दरअसल हाई कोर्ट ने चड्ढा को टाइप-7 सरकारी बंगला खाली करने के राज्य सभा सचिवालय के आदेश पर लगी निचली अदालत से अंतरिम रोक तो हटा दी है, लेकिन चड्ढा को दोबारा अंतरिम राहत पाने का मौका भी दिया है. इसके लिए चड्ढा को तीन दिन के अंदर सिटी कोर्ट में अंतरिम राहत के लिए याचिका दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा है कि उनकी याचिका पर निचली अदालत के फैसला करने तक राज्यसभा सचिवालय उन्हें बंगला खाली करने के लिए नहीं कहेगा.
क्या कहा है हाई कोर्ट ने
दिल्ली हाई कोर्ट की एकल बेंच के जस्टिस अनूप जे. भंभानी ने इस मामले में राघव चड्ढा की याचिका पर पिछले गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था. उन्होंने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने कहा कि सिटी कोर्ट की तरफ से राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के खिलाफ दिया स्टे ऑर्डर फिलहाल तब तक लागू रहेगा, जब तक सिटी कोर्ट राघव चड्ढा के दोबारा अंतरिम राहत पाने के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता है. गुरुवार को भी जस्टिस भंभानी ने राज्य सभा सचिवालय के वकील से मौखिक रूप से कहा था कि हाई कोर्ट का फैसला आने तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.
क्या है पूरा मामला
दरअसल राघव चड्ढा को राज्यसभा सांसद के तौर पर पंडारा पार्क में पिछले साल 6 जुलाई को टाइप-6 बंगला आवंटित हुआ था. चड्ढा ने राज्य सभा के सभापति को 29 अगस्त को एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने टाइप-7 बंगला आवंटित करने का आग्रह किया था. इसके बाद पंडारा रोड पर ही उन्हें एक अन्य बंगला आवंटित कर दिया गया था. इस साल मार्च में राघव चड्ढा को बंगले का आवंटन राज्य सभा सचिवालय ने रद्द कर दिया और उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस दिया था.
यह बताया था कारण
दरअसल अप्रैल, 2022 में राज्यसभा सदस्यों के लिए एक हैंडबुक जारी की गई थी. इस हैंडबुक के मुताबिक, पहली बार सांसद बनने वाले सदस्यों को टाइप-5 बंगला ही आवंटित हो सकता है. इसके बावजूद चड्ढा को टाइप-6 बंगला आवंटित किया गया था. हैंडबुक में टाइप-7 बंगला पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व लोकसभा अध्यक्षों, पूर्व राज्यपालों या केंद्रीय मंत्री रह चुके राज्यसभा सांसदों को ही आवंटित करने का नियम तय किया गया था. इस कारण ही राघव चड्ढा का आवंटन रद्द करने की बात कही गई है.
चड्ढा ने अदालत में दी थी राज्यसभा सचिवालय के आदेश को चुनौती
राघव चड्ढा अपना बंगला खाली करने के राज्यसभा सचिवालय के आदेश के खिलाफ 5 अक्टूबर को निचली अदालत में पहुंचे थे. निचली अदालत ने कहा था कि चड्ढा राज्यसभा सांसद के तौर पर पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगला रखने का अधिकार होने का दावा आवंटन रद्द होने के बाद नहीं कर सकते हैं. हालांकि निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय का 18 अप्रैल को वह अंतरिम आदेश रद्द कर दिया, जिसमें चड्ढा को बंगला खाली करने को कहा गया था. निचली अदालत ने चड्ढा को अंतरिम राहत देते हुए राज्यसभा सचिवालय को बंगला खारी कराने के लिए उचित कानून प्रक्रिया अपनाने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ चड्ढा ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी.
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हाई कोर्ट ने खारिज किया निचली अदालत का आदेश, फिर भी खाली नहीं करना पड़ेगा राघव चड्ढा को बंगला, जानें कारण