Haryana News: करवा चौथ को 'महिलाओं के लिए सौभाग्य का त्योहार' घोषित किया जाए और सभी महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का पालन करना अनिवार्य किया जाए. यह मांग हरियाणा के पंचकूला निवासी एक व्यक्ति ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में याचिका दाखिल करते हुए की थी. हाई कोर्ट ने उस व्यक्ति की मांग को विधायिका यानी सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला बताया और उसकी याचिका को खारिज कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाई कोर्ट ने साथ ही याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति पर 1,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
विधवाओं को करवा चौथ व्रत नहीं रखने देने का उठाया था मुद्दा
पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में पंचकूला निवासी नरिंदर कुमार मल्होत्रा ने याचिका दाखिल की थी. उन्होंने दलील दी थी कि समाज के कई वर्गों की महिलाओं को करवा चौथ व्रत नहीं रखने दिया जाता है. खासतौर पर विधवा महिलाओं को समाज इस व्रत का पालन करने की अनुमति नहीं देता है. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सभी महिलाओं के लिए बिना भेदभाव के करवा चौथ व्रत अनिवार्य करने के एक कानून बनाए जाने की मांग की. उसने करवा चौथ को 'महिलाओं के सौभाग्य का त्योहार', 'मां गौरा उत्सव' या 'मां पार्वती उत्सव' घोषित करने की भी मांग की.
चीफ जस्टिस की बेंच ने खारिज की याचिका
इस याचिका पर पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की मौजूदगी वाली डिविजन बेंच ने सुनवाई की. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, डिविजन बेंच ने गौर किया कि याचिका में दिया गया विषय विधायिका यानी सरकार की जिम्मेदारी वाले दायरे में आता है. डिविजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा,'यह अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग को खारिज करती है.' इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, जिसकी मंजूरी कोर्ट ने 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ दे दी. बेंच ने याचिकाकर्ता को जुर्माने की रकम चंडीगढ़ में PGIMER मेडिकल यूनिवर्सिटी में गरीब लोगों के वेलफेयर फंड में जमा कराने का निर्देश दिया है.
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'ये सरकार का काम' हाई कोर्ट ने खारिज की महिलाओं के लिए करवा चौथ अनिवार्य करने की मांग