डीएनए हिंदी: राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला होना है. इस मुकाबले न सिर्फ़ यह तय होगा कि देश का राष्ट्रपति कौन बनेगा बल्कि इसी चुनाव से कई राज्यों में राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन की दिशा भी तय हो जाएगी. राष्ट्रपति चुनाव में जो गठबंधन दांव पर हैं उनमें सबसे अहम है महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन, यूपी में समाजवादी पार्टी और ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी का गठबंधन और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस का गठबंधन. इनमें से कई पार्टियां अपने गठबंधन के खिलाफ जाकर वोटिंग का मन बना चुकी हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा को उतारा है. आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस की सहयोगी पार्टी जेएमएम (झारखंड में), महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना और उत्तर प्रदेश में सपा गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) को अपने पाले में कर लिया है.
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टूट जाएगी महा विकास अघाड़ी?
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार गिरने की एक वजह यह भी रही कि शिवसेना के विधायक इस गठबंधन से खुश नहीं थे. सरकार गिरने के बाद पार्टी बचाने में लगे उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया है शिवसेना राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को वोट देगी. वहीं, एकनाथ शिंदे गुट भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में है. कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना पर पहले से भी इस गठबंधन को तोड़ने का दबाव है. ऐसे में कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना का यह रुख महा विकास अघाड़ी को तोड़ सकता है.
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कहां जाएंगे राजभर?
यूपी के विधानसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद अखिलेश यादव की अगुवाई वाला गठबंधन सरकार नहीं बना पाया. चुनावी हार के बाद से ही ओम प्रकाश राजभर ने कई बार अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. अब कहा जा रहा है कि अखिलेश भी राजभर से नाराज चल रहे हैं. इसी बीच राजभर ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि सपा और राजभर की यह तनातनी राष्ट्रपति चुनाव के बाद, इन दोनों पार्टियों के गठबंधन को तोड़ने की दिशा में बढ़ सकती है.
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हेमंत सोरेन भी छोड़ देंगे कांग्रेस का साथ?
झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. हालांकि, बीते कुछ दिनों से कई बार खबरें आ चुकी हैं कि इस गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसी बीच आदिवासी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के नाम पर जेएमएम ने भी पाला बदल लिया और उनके समर्थन का ऐलान कर दिया. इसके अलावा, हाल ही में अमित शाह से हेमंत सोरेन की मुलाकात के बाद भी चर्चाएं जोरो पर हैं. सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद झारखंड की राजनीति में भी बड़ी उठापटक देखने को मिल सकती है.
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राष्ट्रपति चुनाव के बाद टूट जाएंगे कई गठबंधन? जानिए क्यों खतरे में है विपक्षियों की राजनीति