डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज केरल के कोच्चि में भारत में ही निर्मित विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को नौसेना (Indian Navy) को सौंप दिया. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा, 'आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है. आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है.'
आईएनएस विक्रांत के आते ही देश की समुंद्री सीमाएं सुरक्षित हो जाएंगी. इसे मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत बनाया गया है. INS विक्रांत का वजन 45 हजार टन है. यह भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है. भारत से पहले सिर्फ 5 देशों ने 40 हजार टन से अधिक वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है.
30 एयरक्राफ्ट तैनात हो सकते हैं INS विक्रांत पर
भारतीय नेवी के लिए कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में पूरी तरह स्वदेशी उपकरणों से निर्मित INS विक्रांत पर 1,600 कर्मचारी तैनात हो सकते हैं, जबकि इस पर फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर मिलाकर कुल 30 एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं. नौसेना के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत में किचन की भी व्यवस्था है. जिसमें एक दिन में 4,800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं.
20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना
कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत INS विक्रांत का जलावतरण करेंगे. इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ‘नये नौसैनिक ध्वज (निशान) का भी अनावरण करेंगे, जो औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप होगा.’ भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा.
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30 एयरक्राफ्ट तैनात हो सकते हैं INS विक्रांत पर
भारतीय नेवी के लिए कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में पूरी तरह स्वदेशी उपकरणों से निर्मित INS विक्रांत पर 1,600 कर्मचारी तैनात हो सकते हैं, जबकि इस पर फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर मिलाकर कुल 30 एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं.
भारत में ही बनाया गया INS Vikrant
घोरमडे ने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे. आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा. इस युद्धपोत का निर्माण भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है.
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अत्याधुनिक उपकरणों से लैस
INS विक्रांत का निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में विमान के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ. 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है. जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं. मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है.
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