PM Modi Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आप टीवी इंटरव्यू में अक्सर अपना पक्ष रखते हुए देखते रहते हैं. रेडियो पर भी वे 'मन की बात' के जरिये जनता से जुड़ते हैं, लेकिन यूट्यूब पॉडकास्ट में उन्हें कभी देखने का मौका नहीं मिला है. अब आम जनत से जुड़ने के इस सबसे बड़े माध्यम पर भी पीएम मोदी ने अपना डेब्यू कर लिया है. अपनी जिंदगी के पहले पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने करीब दो घंटे तक कारोबारी निखिल कामथ (Nikhil Kamath) के साथ बात की है. जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल के यूट्यूब चैनल People by WTF पर स्ट्रीम हुए पॉडकास्ट (PM Modi Nithin Kamath Podcast) में प्रधानमंत्री ने जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं पर बात की है. पीएम मोदी से जब उनके रिस्क लेने वाले फैसलों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा,'मेरी रिस्क लेने की क्षमता का अभी तक पूरा इस्तेमाल ही नहीं हो सका है.' उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते समय दिए अपने एक भाषण को भी याद किया और उसमें कही बातें दोहराईं. उन्होंने कहा,'मैं मनुष्य हूं. कोई भगवान नहीं हूं. गलती मुझसे भी हो सकती है, लेकिन गलत इरादे से गलती नहीं करूंगा. अपने लिए कुछ नहीं करूंगा. मेहनत में कमी नहीं रखूंगा.'
आइए आपको बताते हैं PM मोदी के पहले पॉडकास्ट की 8 बड़ी बातें.
1. 'जो जीवन जीकर आया हूं, उसके चलते कंफर्ट के लिए अनफिट हूं'
निखिल कामथ ने पॉडकास्ट के दौरान पीएम मोदी से पूछा कि इतने बड़े पद पर रहने के बावजूद वे कंफर्ट जोन में क्यों नहीं रहते हैं. क्या इसका कोई कारण है? पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा,'ऐसा लगता है कि मैं शायद कंफर्ट के लिए अनफिट हूं. मैं जो जीवन जीकर आया हूं. उसमें छोटी खुशी भी मन को संतोष देती है. बचपन से ही व्यक्ति का मन इसे लेकर तैयार हो जाता है. उसे लगता है कि इतने पर संतोष है. मैं हमेशा कंफर्ट जोन से बाहर रहा हूं. मैंने हमेशा माना कि जिंदगी अनुभवों से संवरती है. मुझे हमेशा पता है कि कैसे क्या करना है और कैसे जीना है.'
2. 'सफलता पानी है तो कंफर्ट जोन छोड़ना ही होगा'
पीएम मोदी ने एक सवाल के जवाब में सफलता का मंत्र भी बताया. उन्होंने कहा,'कंफर्ट जोन के आदी होने के कारण ही कई लोग जीवन में विफल होते हैं. सफलता पानी है तो कंफर्ट जोन छोड़ना ही होगा. रिस्क नहीं लेने पर बड़ा बिजनेसमैन भी कालक्रम में खत्म हो जाएगा. उसे इससे बाहर आना ही होगा. किसी को जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रगति करनी है तो उसे कंफर्ट जोन से बाहर आकर रिस्क लेने की मनोभूमिका बनानी होगी. यही उसकी सफलात का ड्राइविंग फोर्स बनती है.'
3. 'मेरी रिस्क लेने की क्षमता अब भी कई गुना बाकी'
प्रधानमंत्री से निखिल कामथ ने उनकी रिस्क लेने की क्षमता बढ़ने के बारे में पूछा. पीएम मोदी ने कहा,'मुझे लगता है कि मेरी रिस्क लेने की क्षमता का अभी बहुत कम इस्तेमाल हुआ है. इसका पूर्ण इस्तेमाल नहीं हुआ है. मेरी रिस्क लेने की क्षमता अब भी कई गुना बाकी है. इसका कारण है कि मैं अपने बारे में नहीं सोचता. मुझे इसकी परवाह ही नहीं है. जो ऐसा करता है, उसकी रिस्क क्षमता बेहिसाब होती है. मेरा केस ऐसा है. आज मैं ये नहीं हूं, कल मैं ये नहीं रहूंगा तो मेरा क्या होगा. इससे मेरा कोई लेना देना ही नहीं है.'
4. 'बचपन के दोस्तों से मिला तो खुशी नहीं हुई'
प्रधानमंत्री मोदी ने किसी पद पर बैठने के बाद सामने वालों का व्यवहार बदलने का अनुभव भी शेयर किया. उन्होंने कहा,'मुख्यमंत्री बनने पर मैंने सीएम हाउस में पुराने दोस्तों और शिक्षकों को बुलाया. बचपन के दोस्तों से मिलकर भी मुझे खुशी नहीं हुई, क्योंकि मैं अपने दोस्त ढूंढ रहा था और वे मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर देखकर व्यवहार कर रहे थे.'
5. गोधरा में ग्राउंड जीरो पर जाने का किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंचने का जिक्र किया. उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने के महज 3 दिन बाद गोधरा में ट्रेन जला दी गई. उन्होंने कहा,'मैंने ग्राउंड जीरो पर जाने का फैसला किया. अधिकारियों ने वीआईपी हेलिकॉप्टर नहीं होने की बात कही. मैंने कहा कि मैं वीआईपी नहीं आम आदमी हूं. मैं ओएनजीसी से सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर लेकर गोधरा पहुंचा. वहां के हालात दर्दनाक थे, लेकिन मुझे भावनाएं काबू में रखना पड़ा.'
6. 'साधु बनना चाहता था, खूब भटका पर नहीं बन पाया'
प्रधानमंत्री ने पूरे देश में भटकने का भी कारण बताया. उन्होंने कहा,'मेरी इच्छा साधु का जीवन जीने की थी. खूब भटका पर नहीं बन पाया. रामकृष्ण मिशन में स्वामी आत्मास्थानंद जी, जिनका अभी स्वर्गवास हुआ है, उनके पास रहा. लेकिन वहां के नियमों में मैं फिट नहीं हुआ. इससे मैं निराश नहीं हुआ. हालांकि ये मेरे जीवन में झटका था. इसके बाद भी जंगलों-पहाड़ों में भटककर संतों-महंतों को ढूंढते रहे. वहां भी सफलता नहीं मिली. शायद नियति की सोच कुछ और थी. जीवन में सेटबैक आते ही हैं.'
यहां देखें पूरा पॉडकास्ट-
7. 'सैनिक बनकर करना चाहता था देश की सेवा'
पीएम मोदी ने बचपन में सैनिक बनने का सपना पूरा नहीं हो पाने का किस्सा बताया. उन्होंने कहा,' मैं छोटा था. मेरे राज्य में कोई सैनिक स्कूल शुरू हुआ था. गांव के पुस्तकालय में जाकर अखबार में मैं विज्ञापन भी पढ़ डालता था. वहीं सैनिक स्कूल के बारे में पढ़ा. एक या डेढ़ रुपये के पार्सल में उस बारे में सारी जानकारी मंगाई. मेरे घर से 300-400 मीटर दूर रासबिहारी मनियार नाम से एक प्रिंसिपल रहते थे. मैं पार्सल लेकर उनके घर पहुंच गया. मैंने कहा कि ये समझ नहीं आ रहा. कृपया बता दीजिए. उन्होंने मुझे सारी जानकारी दी. मैंने ये सारी बात अपने पिताजी को बताई. मेरे पिताजी ने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं. कहीं जाना-वाना नहीं है. अपने गांव में ही रहो. सैनिक देश के लिए काम करते हैं तो ये मेरे मन में हमेशा रहा. ये मेरे लिए सेटबैक की तरह रहा.'
8. 'अपनी गलती से सीखता हूं'
प्रधानमंत्री मोदी से जब उनकी सफलता में असफलताओं की अहमियता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं गलती से सीखता हूं. उन्होंने कहा,'मैं RSS में था. वहां नई जीप ली गई थी. मैंने तब नई-नई ड्राइविंग सीखी थी. मुझे संघ पदाधिकारी के साथ आदिवासी इलाके में जीप लेकर जाना पड़ा. वापसी में उकाई डैम की ढलान पर पेट्रोल बचाने के लिए मैंने इंजन बंद कर दिया. मुझे नहीं पता था कि इससे कैसी मुसीबत आ जाएगी. गाड़ी कंट्रोल से बाहर हो गई. बेहद तेज गति हो जाने के कारण ब्रेक लगाना भी मुसीबत था. खैर किसी तरह बच गए. मेरे बराबर वाले को मेरे पाप का पता भी नहीं चला, लेकिन मैंने इससे सीख ली. इसी तरह लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं.'
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