डीएनए हिंदी: एक भारतीय ब्लॉगर ने उन वेस्टर्न एक्सपर्ट्स और रेटिंग एजेंसीज को आईना दिखाया है, जो लगातार भारत की छवि 'चुनावी तानाशाही' देश के तौर पर बनाने की कोशिश कर रहे है. ये एक्सपर्ट्स और एजेंसीज यह दावा महज इस आधार पर कर रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा लगातार एक के बाद चुनाव पर चुनाव में जीत हासिल कर रही है. ब्लॉगर का कहना है कि एक देश या तो लोकतांत्रिक हो सकता है या फिर तानाशाही, लेकिन वेस्टर्न एक्सपर्ट्स प्रशासन के ऐसे रूप को कैटेगराइज्ड करने की कोशिश की है, जो ना तो है और 'तब भी एकसाथ' है.

वेस्टर्न कंट्रीज के उदाहरण से ही समझाई बात

गुरुग्राम निवासी ब्लॉगर किशोर अस्थाना ने अपनी बात को समझाने के लिए बहुत सारी वेस्टर्न कंट्रीज का ही उदाहरण दिया है, जहां कई नेताओं ने लंबे समय तक राज किया है. अस्थाना ने अपने ब्लॉग में सवाल करते हुए लिखा, क्या हमने ब्रिटेन को एक तानाशाही कहा था, जब रॉबर्ट वॉलपोल साल 1721 से 1742 तक करीब 21 साल प्रधानमंत्री बने रहे या जब मार्गरेट थैचर 1979 से 1990 तक वहां की प्रधानमंत्री रहीं? मार्क रूट करीब 12 साल के लिए हॉलैंड के प्रधानमंत्री पद पर रहे. क्या हॉलैंड भी एक निरंकुश निर्वाचन देश था? क्या एंजेला मर्केल ने जर्मनी को निर्वाचन तानाशाही बना दिया था, जब वे 22 नवंबर 2005 से 8 दिसंबर 2021 तक करीब 16 साल के लिए चांसलर बनी रहीं?

पीएम मोदी के कार्यकाल का भी किया विश्लेषण

अस्थाना ने वेस्टर्न एक्सपर्ट्स से सवाल किया है कि प्रधानमंत्री मोदी 8 साल से देश के पीएम हैं. इस दौरान उनकी पार्टी भाजपा ने कुछ चुनाव जीते हैं और कुछ दूसरों से हारे हैं. उनकी पार्टी ने दो बार आम चुनाव जीते हैं, लेकिन ये चुनाव एकतरफा नहीं रहे हैं. उन्होंने लिखा, साल 2019 में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 37.36% वोट हासिल किए और 303 सीट जीती. उसके नेशनल डेमोक्रेटिक अलांयस (NDA) ने 543 सीट वाले निचले सदन में कुल 353 सीट हासिल कीं. इससे पहले साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने 31% वोट पाए थे और 282 सीट जीती थीं, जबकि NDA को कुल 336 सीट मिली थीं. किसी ने यह नहीं कहा है कि इन चुनावों में भाजपा के पक्ष में धांधली हुई थी. अस्थाना ने लिखा, मोदी विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और वामपंथी झुकाव वाले विद्वानों के निशाने पर हमेशा ही रहे हैं. इसके बावजूद वे सत्ता में रहते हैं. क्या यह वो तरीका नहीं है, जिससे लोकतंत्र को काम करना चाहिए?  

मोदी जितना पॉपुलर नेता निरंकुश होगा, ये सोचना बेकार बात

ब्लॉगर ने वेस्टर्न कंट्रीज की उस धारणा को भी खारिज किया कि मोदी जितने पॉपुलर नेता को निरंकुश ही होना चाहिए. उन्होंने लिखा, यदि नस्लवाद और पाखंड को आपस में जोड़ सकते तो इससे 'नस्लवादी-पाखंड' का जन्म होता. यह कुछ एक ऐसे खच्चर जैसा होगा, जो एक कैट-डॉग (कुत्ते-बिल्ली की संकर संतान) की तुलना में ज्यादा वास्तविक होता है. बता दें कि खच्चर एक गधे और घोड़ी की हाइब्रिड संतान होता है और एक उपयोगी जानवर होता है. इसी तरह वास्तव में नस्लवादी-पाखंडी लोग एक निर्वाचन तानाशाही के मुकाबले ज्यादा वास्तविक होते हैं. यह हाइब्रिड रूप रेटिंग एजेंसियों के शीर्ष पर बैठे एक्सपर्ट्स का ज्यादा बेहतर तरीके से वर्णन करता है. उन्होंने लिखा, हालांकि वे (एक्सपर्ट्स) अपने डिजाइन किए मानकों, अड़ियल सर्वेक्षण वाले सवालों और गड़बड़ रिसर्च मैथड वाली शिक्षा के मुखौटे के पीछे अपने नस्लवाद और पाखंड को छिपाने की कोशिश करते हैं.

मोदी के आगे बढ़ने के पीछे दो कारण

अस्थाना के मुताबिक, मोदी के तरक्की करने या यूं कहें कि राजनीतिक पथ पर आगे बढ़ने के पीछे दो कारण हैं. पहला पिछली सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण और दूसरा खराब नेतृत्व वाला विपक्ष. वह साथ ही जोड़ते हैं कि जहां तक विकास का सवाल है तो मोदी काम कर रहे हैं.

वह साथ ही कहते हैं, मोदी की पॉपुलेरिटी का एक दूसरा कारण खराब नेतृत्व वाला बंटा हुआ विपक्ष है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी परिवार की अक्षमता के निर्विवाद सबूत और प्रशासन के किसी अनुभव की कमी के बावजूद उनकी अचूक प्रधानता पर जोर देकर लगातार अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है. जब तक यह परिवार कांग्रेस नेताओं को आपस में जोड़ने वाले एकमात्र गोंद बना रहेगा, तब तक पार्टी का पतन जारी रहेगा. उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) पर अपरिपक्व होने और राष्ट्रीय नेतृत्व के लायक नहीं होने का भी आरोप लगाया.

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PM Modi success not Indian electoral autocracy Blogger calls out racist hypocrites who brand this myth
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भारत की 'चुनावी तानाशाही' का नतीजा नहीं पीएम मोदी की सफलता
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Prime Minister Narendra Modi
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ब्लॉगर का कहना है कि Prime Minister Narendra Modi के आगे बढ़ने का कारण पिछली सरकारों का तुष्टिकरण और बंटा हुआ विपक्ष है. (फाइल फोटो)

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भारत की 'चुनावी तानाशाही' का नतीजा नहीं पीएम मोदी की सफलता, ब्लॉगर ने दिखाया 'नस्लीय ढोंगियों' को आईना