सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा है कि अगर कोई शख्स, पाकिस्तान को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे (Happy Independence Day) या आजादी मुबारक कहता है तो यह कानूनी रूप से गलत नहीं है.
प्रोफेसर ने किया क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिकाकर्ता के खिलाफ भारत दंड संहिता (IPC) की धारा 153 ए के तहत नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले को खारिज कर दिया. याचिका दायर करने वाला शख्स एक प्रोफेसर है.
प्रोफेसर पर संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने के लिए व्हाट्सएप स्टेटस लगाने के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने केस दर्ज कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने दी पुलिसकर्मियों को संवैधानिक सलाह
'जावेद अहमद हजाम बनाम महाराष्ट्र राज्य' केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर भारत का कोई नागरिक पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त पर पाकिस्तान के नागरिकों को शुभकामनाएं देता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. यह सद्भावना का संकेत है. अपीलकर्ता के उद्देश्यों को केवल इसलिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह धर्म विशेष से है.'
'पाकिस्तान को आजादी मुबारक कहना गलत नहीं'
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रत्येक नागरिक को दूसरे देशों के नागरिकों को उनके स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है. इसके लिए किसी को दंड नहीं दिया जा सकता है. यह अपराध नहीं है.
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'सरकार की आलोचना करना कानून तोड़ना नहीं'
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आलोचना पर कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सरकार की हर कार्रवाई की आलोचना करने का अधिकार है. केवल सरकार के फैसले की आलोचना करने पर IPC की धारा 153ए नहीं लगेगी.
'हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है सरकार की आलोचना'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय और उस निर्णय के आधार पर उठाए गए कदमों के खिलाफ अपीलकर्ता का एक सरल विरोध है. अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भारत का संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. उक्त गारंटी के तहत, प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की कार्रवाई, या उस मामले में, राज्य के हर फैसले की आलोचना करने का अधिकार है. उसे यह कहने का अधिकार है कि वह राज्य के किसी भी फैसले से नाखुश है.'
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सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस मशीनरी को फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित अभियोजन के लिए पुलिस तंत्र को भी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'समय आ गया है कि हमारी पुलिस मशीनरी को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा और उनके स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति पर उचित संयम की सीमा के बारे में जागरूक और शिक्षित किया जाए. हमारे संविधान में निहित मूल्यों के बारे में उन्हें ज्याा संवेदनशील होना चाहिए.'
संविधान का अभिभावक है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कई मौकों पर साबित करता है कि वह संविधान का अभिभावक है. उसे आम जनता के मौलिक अधिकारों की फिक्र है, वह किसी भी कानून को मौलिक अधिकारों पर हावी नहीं होने दे सकता है.
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पाकिस्तान को 'आजादी मुबारक' कहना गलत नहीं, SC ने दी प्रोफेसर को राहत