Padam Awards 2025: केंद्र सरकार ने शनिवार को गणतंत्र दिवस (Republic Day 2025) की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार 2025 से सम्मानित होने वाले 139 नामों की घोषणा कर दी है. इन 139 में 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्मश्री सम्मान शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जिन 139 लोगों को देश के इन सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजने के लिए चुना है, उनमें से कई नामों को देखकर आप हैरान रह सकते हैं. इनमें जहां किसान शामिल हैं तो वहीं ट्रैवल ब्लॉगर तक को इसका हिस्सा बनाया गया है. इतना ही नहीं कई विदेशी चेहरे भी इस लिस्ट में दिखाई देंगे, लेकिन ये कोई हस्ती नहीं हैं बल्कि ये समाज में किसी भी तरीके से अपना योगदान देने वाले चेहरे हैं. बता दें कि पद्म पुरस्कार तीन कैटेगरी पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में दिए जाते हैं, जो भारत रत्न के बाद देश में किसी भी व्यक्ति को दिए जाने वाले टॉप-3 नागरिक सम्मान हैं. ये सम्मान कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान, इंजीनियरिंग, व्यापार, उद्योग, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और सिविल सेवा समेत कई अन्य क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए दिए जाते हैं.
पद्मश्री से नवाजे गए लोगों में शामिल हैं ये चेहरे
- फल उत्पादक किसान L Hangthing (नागालैंड)
- सेब सम्राट Hariman Sharma (हिमाचल प्रदेश)
- Jumde Yomgam Gamlin (अरुणाचल प्रदेश)
- Joynacharan Bathari (असम)
- Naren Gurung (सिक्किम)
- Vilas Dangre (महाराष्ट्र)
- योगा ट्रेनर Shaikha A J Al Sabah (कुवैत)
- Nirmala Devi (बिहार)
- Bhim Singh Bhavesh (बिहार)
- Radha Bahin Bhatt (उत्तराखंड)
- Suresh Soni (गुजरात)
- Pandi Ram Mandavi (छत्तीसगढ़)
- वेदांत गुरु Jonas Masett (ब्राजील)
- Jagdish Joshila (मध्य प्रदेश)
- Harvinder Singh (हरियाणा)
- Bheru Singh Chouhan (मध्य प्रदेश)
- Venkappa Ambaji Sugatekar (कर्नाटक)
- P Datchanamoorthy (पुडुचेरी)
- स्वतंत्रता सेनानी Libia Lobo Sardesai (गोवा)
- ढाक वादक Gokul Chandra Das (पश्चिम बंगाल)
- ट्रैवल व्लॉगर Hugh Gantzer (उत्तराखंड)
- ट्रैवल व्लॉगर Colleen Gantzer (उत्तराखंड)
- Dr Neerja Bhatla (दिल्ली)
- Sally Holkar (मध्य प्रदेश)
- Maruti Bhujangrao Chitampalli (महाराष्ट्र)
(पद्मश्री सम्मान पाने वालों की पूरी सूची यहां देख सकते हैं)
सम्मानित होने वाले गुमनाम पर 'खास' चेहरे
- लीबिया लोबो सरदेसाई (Libia Lobo Sardesai): गोवा की 100 साल की स्वतंत्रता सेनानी लीबिया ने पुर्तगालियों से इस भारतीय राज्य की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. लीबिया ने 1955 में अंडरग्राउंड रेडियो स्टेशन Voz da Liberdabe (Voice of Freedom) की स्थापना की थी, जिसके प्रसारण ने लोगों को पुर्तगाली गुलामी के खिलाफ खड़ा होने को जागरूक किया था.
- एल. हैंगथिंग (L Hangthing): नागालैंड के नोकलाक के एल. हैंगथिंग पिछले 30 साल से गैर देशी फलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. गैर देशी फलों की खेती करने में एक्सपर्ट कहलाने वाले इस किसान ने अपने राज्य के 40 गांवों में 200 से ज्यादा किसानों को भी यह ज्ञान बांटा है. बचपन से ही वे लोगों द्वारा फेंके गए फलों के बीच एकत्र करके अपने परिवार के खेतों पर प्रयोग करते थे, जिसके चलते उनकी अभिनव कृषि तकनीकों को बेहद पसंद किया जाता है.
- गोकुल चंद्र डे (Gokul Chandra Dey): पश्चिम बंगाल के ढाक वादक गोकुल चंद्र ने इस संगीत वाद्य पर पुरुषवादी वर्चस्व को तोड़ने का कारनामा किया था. 57 साल के गोकुल ने 150 महिलाओं को ढाक वादन सिखाया था. साथ ही उन्होंने पारंपरिक भारी-भरकम ढाक से 1.5 किलोग्राम कम वजन वाला लाइटवेट ढाक का भी आविष्कार किया है. गोकुल ने पंडित रवि शंकर और उस्ताद जाकिर हुसैन जैसे चर्चित संगीतज्ञों के साथ कई इंटरनेशल प्लेटफॉर्म पर भी ढाक वादन कर इसे पॉपुलर बनाने का काम किया है.
- डॉ. नीरज भाटला (Dr Neerja Bhatla): दिल्ली की गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. नीरज को सर्वाइकल कैंसर योद्धा भी कहा जाता है. उन्हें महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की पहचान करने, रोकथाम करने और उसका मैनेजमेंट करने का स्पेशलिस्ट माना जाता है. एम्स में प्रसूति व स्त्री रोग विभाग की हेड रह चुकीं डॉ. भाटला ने वहां से रिटायरमेंट के बाद भी महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत सारे अहम काम किए हैं, जिनमें सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम से जुड़े रिसर्च प्रोजेक्ट शामिल हैं.
- शेख ए जे अल सबाह (Shaikha A J Al Sabah): कुवैत की योग ट्रेनर अल सबाह को वहां इस भारतीय विधा के प्रचार-प्रसार का श्रेय जाता है. कुवैत का पहला लाइसेंसशुदा योग स्टूडियो 'दारात्मा' स्थापित करने वाली अल सबाह ने पारंपरिक योग में आधुनिक विधियों का समन्वय किया है. इससे खाड़ी देशों में योग की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी है.
- जोनास मासेट (Jonas Masett): ब्राजील के जोनास मासेट भारतीय अध्यात्म, दर्शन और संस्कृति के ज्ञाता हैं. मैकेनिकल इंजीनियर से हिंदू आध्यात्मिक गुरु बने मासेट को वेदांत गुरु भी कहते हैं, क्योंकि उन्होंने वेदों के ज्ञान की वैश्विक शिक्षा को सुलभ बनाया है. करीब 1.5 लाख छात्रों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास की शिक्षा दे चुके मासेट को 'विश्वनाथ' भी कहा जाता है. साल 2014 में उन्होंने ब्राजील की राजधानी रियो डि जनेरियो में भारतीय वेदांत व दर्शन के प्रसार पर केंद्रित संस्थान विश्व विद्या की स्थापना की थी.
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Padma Awards 2025: ब्राजीली वेदांत गुरु, कुवैत की योगा ट्रेनर, घोषित हुए पद्म पुरस्कार, लिस्ट में हैं कई अनूठे नाम