डीएनए हिंदी: दिवाली पर पूरा देश जगमगाता है लेकिन भारत में एक पक्षी ऐसा है जिसके लिए यह त्योहार जिंदगी का अंधेरा लेकर आता है. दरअसल, भारत में दिवाली (Diwali) पावन त्योहार पर सैंकड़ों उल्लू (ow) अंधविश्वास की भेंट चढ़ते हैं. देश के कई राज्यों में उल्ली की बलि दी जाती है. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) ने भारत ने जागरूकता फैलाने एवं इसके शिकार एवं तस्करी बंद करने की आवश्यकता जताई है. WWF ने चेताया है अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह प्रजाति विलुप्त हो जाएगी और यह सबसे बड़ी खतरे की घंटी है.
दरअसल, भारत में उल्लुओं के बारे में यह मिथकीय धारणा प्रचलित है कि अगर दिवाली के मौके पर उल्लू की बलि दी जाए तो धन-संपदा में वृद्धि होती है. ऐसे में कई लोग इस पावन पर्व पर अपने स्वार्थ के लिए उल्लुओं की बलि देते हैं, जिसके कारण हर साल काफी संख्या में इस परिंदे को जान से हाथ धोना पड़ता है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने कहा कि भारत में उल्लू की 36 प्रजातियां पाई जाती हैं और इन सभी को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत शिकार, बेचना या किसी प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्राप्त है.
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भारत में उल्लू की 16 प्रजातियां
WWF ने कहा गया है कि कानूनी संरक्षण के बावजूद आमतौर पर यह पाया गया है कि उल्लू की कम से कम 16 प्रजातियों की अवैध तस्करी एवं कारोबार किया जा रहा है. इसमें इन प्रजातियों में खलिहानों में पाया जाने वाला उल्लू, ब्राउन फिश उल्लू, ब्राउन हॉक उल्लू, कॉलर वाला उल्लू, काला उल्लू, पूर्वी घास वाला उल्लू, जंगली उल्लू, धब्बेदार उल्लू, पूर्वी एशियाई उल्लू, चितला उल्लू आदि शामिल हैं. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के अनुसार, हर साल इस अजीबोगरीब रिवाज के कारण ग्रामीण इलाकों एवं शहरों में आस्था एवं अंधविश्वास के कारण उल्लू की बलि चढ़ाने की घटनाएं सामने आती हैं. उल्लू के बारे में गलत धारणा और जागरूकता की कमी है. इसके अवैध कारोबार की पहचान और रोकथाम के लिए कानून अनुपालन एजेंसियों की सीमित क्षमता के कारण अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया है.
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किसानों की फसल बचाने के लिए अहम है उल्लू
संगठन ने कहा कि इन कमियों को दूर करने और उल्लू के संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-भारत ने आम लोगों के लिए हिन्दी एवं अंग्रेजी में पोस्टर और आईडी कार्ड के रूप में पहचान उपकरण उपलब्ध कराये हैं. संगठन ने कहा है कि उल्लू हमारे पारिस्थितिकी-तंत्र का बेहद ही महत्वपूर्ण पक्षी है, जो खाद्य-श्रृंखला प्रणाली के तहत जैव विविधता को संतुलित बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शिकारी पक्षी कई हानिकारक कीट-पतंगों और टिड्डों को खाकर हमारी फसलों और खाद्यान्नों की सुरक्षा करता है.
(PTI इनपुट के साथ)
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दिवाली पर अंधविश्वास की भेंट चढ़ते हैं उल्लू, WWF ने कहा- भारत के लिए खतरे की घंटी