डीएनए हिंदी: 2 जून की शाम ओडिशा के बालासोर में हुए भयावह रेल दुर्घटना में 275 से ज्यादा लोग मारे गए थे. आनन-फानन में इन सभी के शवों को एक स्कूल में रखा गया था और इस स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया था लेकिन अब यह अस्थायी मुर्दाघर प्रशासन के लिए परेशानी की सबब बन गया है. स्कूल में टीचर से लेकर स्टूडेंट्स सभी पढ़ने और पढ़ाने के लिए जाने से डर रहे हैं. वहीं मां बाप अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने से भी डरे हुए हैं.
बता दें कि बहनागा के इसी अस्थायी मुर्दाघर से मृतकों के प्रियजनों ने उनके शवों की शिनाख्त की थी और अंतिम संस्कार के लिए अपने साथ ले गए थे. ऐसे में अब यहां छात्रों के मां बाप और शिक्षक आने से डर रहे हैं. पैरेंट्स के मन में इमारत के भूतहा होने का डर है जिसके चलते इस स्कूल की बिल्डिंग तक को गिराने की मांग की जा रही है.
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खत्म होने वाली हैं गर्मी की छुट्टियां
जानकारी के मुताबिक 16 जून से इस स्कूल में गर्मी की छुट्टियां खत्म होने वाली हैं. ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने से मना कर रहे हैं जिसके चलते सरकारी स्कूल अब ध्वस्त हो सकता है. बता दें कि जिस जगह ओडिशा ट्रेन हादसा हुआ था, यह स्कूल उस जगह से महज 500 मीटर की दूरी पर है. इसके चलते इसे आस्थायी मुर्दाघर बनाया गया था.
इस असमंजस की स्थिति को लेकर स्कूल की प्रबंधन समिति ने बताया कि बालासोर रेल हादसे के बाद 250 शवों को स्कूल के परिसर में रखा गया था. स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया था जिन शवों को स्कूल में रखा गया था, उनमें से ज्यादातर विकृत अवस्था में थे. ऐसे में छात्र और कई शिक्षक स्कूल लौटने से कतरा रहे हैं.
स्कूल समिति का कहना है कि शवों को हटाने के बाद स्कूल की अच्छी से सफाई कर दी गई है लेकिन छात्रों और शिक्षकों के मन में उस भयावह दृश्य की अमिट छाप अभी भी बनी हुई है. पैरेंट्स के मन में इमारत के भूतहा होने का डर है. इसके चलते लोग इस बिल्डिंग को ही गिराने की मांग कर रहे हैं.
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डरे हैं छात्र और उनके मां बाप
बहनागा के इस सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल प्रमिला स्वैन ने कहा, “बहनागा और आस-पास के गांवों के लोगों ने हादसे के दौरान ऐसे दृश्य देखे जो उन्हें लंबे समय तक परेशान करेंगे. युवा दिमाग पर प्रभाव और भी अधिक है, यही कारण है कि हम सरकार से उन कक्षाओं को ध्वस्त करने का अनुरोध कर रहे हैं जहां शवों को रखा गया था."
वहीं इस मुद्दे पर बालासोर के कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे ने स्कूल का दौरा किया और लोगों से भय और अंधविश्वास न फैलाने की अपील की. उन्होंने कहा, "यह 65 वर्षीय स्कूल पिछले कुछ वर्षों में बदल गया है. परिसर में एक विज्ञान प्रयोगशाला है जो अंधविश्वास नहीं, बल्कि नई सोच का रास्ता दिखाता है. हालांकि, हम इस बारे में सोच-समझकर निर्णय लेंगे कि स्कूल की इमारत को गिराना है या नहीं."
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जल्द होगा बिल्डिंग गिराने पर फैसला
बिल्डिंग गिराए जाने को लेकर स्कूल और जन शिक्षा सचिव एस अश्वथी ने कहा कि अधिकारियों की एक टीम ने लगातार दिनों में परिसर का दौरा किया और माता-पिता और शिक्षकों के एक वर्ग द्वारा उठाई जा रही चिंताओं को सुना. उन्होंने कहा है कि हम अपने अधिकारियों और स्कूल की प्रबंधन समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसके आधार पर सरकार जल्द निर्णय लेगी." बता दें कि इस स्कूल में कई ऐसे शव भी रखें थे जो कि ट्रेन हादसे के बाद क्षत विक्षत हो गए थे, जिसके चलते छात्रों के मां बाप काफी डरे हुए हैं.
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जिस स्कूल में रखे गए थे ट्रेन हादसे के शव, अब लोग कर रहे उसकी बिल्डिंग गिराने की मांग, जानें क्या है वजह