डीएनए हिंदी: नोएडा के सुपरटेक के दो अवैध ट्विन टावरों (Supertech Twin Tower) को 28 अगस्त को जमींदोज कर दिया जाएगा. 70 करोड़ की लागत से बनी इन इमारतों को मात्र 9 सेकेंड में मलबे में तब्दील कर दिया जाएगा. ट्विन टावरों को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगाया गया है. जानकारी के मुताबिक, इन्हें ध्वस्त करने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. क्योंकि इसमें बहुत अधिक विस्फोटक, जनशक्ति और उपकरण की आवश्यकता होगी.
नोएडा के सेक्टर 93-A में स्थित इन ट्विन टावरों में एक की ऊंचाई 103 मीटर है, जबकि दूसरे की 97 मीटर है. इन टावरों को ध्वस्त करने में लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फीट की लागत आएगी. दोनों टावरों का कुल एरिया 7.5 लाख वर्ग फीट बैठ रहा है. जिसको गिराने में 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगाया गया है. विस्फोटकों सहित कुल विध्वंस लागत करीब 20 करोड़ रुपये होगी.
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कंपनी को कितना होगा नुकसान
इमारतों को गिराने में लगने वाली 20 करोड़ रुपये की लागत में से सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. जबकि शेष 15 करोड़ की राशि मलबे को बेचकर प्राप्त की जाएगी. जिसमें 4,000 टन स्टील और लगभग 55,000 टन आयरन निकलने की संभावना है. इसके अलावा इमारतों को गिराने के लिए जिम्मेदार कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने आसपास के क्षेत्र में किसी भी हानि के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर भी लिया है.
ट्रैफिक को किया डायवर्ट
बता दें कि रविवार यानी 28 अगस्त को जब ये टावर गिराए जाएंगे, उस समय एक्सप्रेस-वे पर कुछ देर के लिए ट्रैफिक बंद रहेगा. इसके अलावा, आसपास की बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को भी कहा गया है कि वे दिनभर के लिए अपने घर खाली कर दें. आखिर इन इमारतों को क्यों गिराया जा रहा है? इमारत को मंजरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक क्या हुआ, विस्तार से समझते हैं.
सुपरटेक ट्विन टावरों को क्यों गिराया जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन टावरों को गिराने की कार्रवाई की जा रही है. दरअसल इन टावरों को निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था. नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था. सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया.
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Twin Towers Demolition: 70 करोड़ बनाने में, 20 करोड़ ढहाने में... जानें कंपनी को कितना होगा नुकसान