डीएनए हिंदी: प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग दिवस (No Smoking Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद है कि लोगों को धूम्रपान यानी SMOKING छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. ऐसे में इससे जुड़े हुए पहलु को जानना बेहद जरूरी है और इसलिए इस मुद्दे पर पढ़ें अभिषेक सांख्यायन की रिपोर्ट...
बढ़ रही है धूम्रपान छोड़ने वालों की संख्या
सबसे पहले अच्छी खबर यह है कि दुनिया के औसत के आधार पर साल 2007 से 2019 के बीच, धूम्रपान (Smoking) करने वालों की संख्या 22.7% से घटकर 17.5% रह गई. इसका मतलब है कि 12 वर्षों में धूम्रपान करने वालों की संख्या में करीब 23 फीसदी की कमी आई है. यही नहीं, Global Adult Tobacco Survey (GATS) से पता चला कि 60% से अधिक धूम्रपान करने वाले लोग सिगरेट छोड़ना चाहते हैं. करीब 40 % तो ऐसे स्मोकर हैं जो 12 महीने पहले ही सिगरेट छोड़ने का प्रयास कर चुके हैं लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग सिगरेट नहीं छोड़ पाते हैं.
धूम्रपान छोड़ना इतना मुश्किल क्यों ?
निकोटीन बहुत ही खतरनाक नशा है. WHO की रिपोर्ट में एक शोध के हवाले से कहा गया है कि एक चौथाई किशोर महज 3 या 4 सिगरेट पीने के बाद ही इसके आदी हो जाते हैं. वहीं पांच पैकेट के बाद 60 प्रतिशत लोग सिगरेट के नशेड़ी हो जाते हैं और इसी वजह से बिना किसी बाहरी नशामुक्ति के प्रयासों के बिना सिर्फ 4 % ही सिगरेट छोड़ पाने में सफल होते पाते हैं.
अक्सर लोग कहते हैं कि वो तो सिर्फ 2 -3 सिगरेट पीते हैं. कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक शोध के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. ऐसे लोग जो "हल्का" धूम्रपान (5 से कम सिगरेट) करते हैं, उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता उतनी ही कमजोर है जितनी एक दिन में 30 से अधिक सिगरेट पीने वालों की होती है. अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि हल्के धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के फेफड़ों को जितना नुक्सान एक साल में होगा उतना नुकसान भारी स्मोकर को 9 महीने में ही पहुंच जाएगा.
बेहद खतरनाक है निकोटीन
जानकारी के मुताबिक एक औसत धूम्रपान करने वाला 5 मिनट की अवधि में सिगरेट के 10 कश लेता है. एक व्यक्ति जो प्रतिदिन 25 सिगरेट पीता है, उसे 250 बार निकोटीन का हिट प्राप्त होगा. निकोटीन सिगरेट में पाए जाने वाले जहरीले रसायनों में से एक है. निकोटिन के साथ-साथ करीब 7,000 रसायन निकलते हैं. इन रसायनों में से 69 रसायन कैंसर पैदा करने वाले हैं.
वहीं खास बात यह है कि सिगरेट की तरह तम्बाकू भी कैंसर, हृदय रोग (सीवीडी), मधुमेह, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, स्ट्रोक, बांझपन, अंधापन, तपेदिक (टीबी) जैसे गंभीर बीमारियों का मुख्य कारक है. पुरुषों में 50% और महिलाओं में 20% कैंसर का कारण भी तंबाकू ही है. इसके अलावा तंबाकू के जरिए ही 40 प्रतिशत लोग टीबी का शिकार होते हैं.
तंबाकू छोड़ते ही दिखेंगे फायदे
NTCP के दावों के मुताबिक तंबाकू छोड़ते ही आपको अपने शरीर में फायदे दिखने लगेंगे जो कि तत्कालिक तौर पर भी दिख सकते हैं.
• 8 घंटे : ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है.
• 24 घंटे: दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होने लगता है.
• 72 घंटे: फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार होता है.
• 1-9 महीने: खांसी और सांस की तकलीफ कम हो जाती है.
• 12 महीने: तंबाकू सेवन करने वालों की तुलना में हृदय रोग का खतरा आधा होता है.
• 5 वर्ष : स्ट्रोक का जोखिम कम हो जाता है.
• 10 वर्ष: तंबाकू सेवन करने वालों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आधे से भी कम है.
जेब पर भी भारी है तंबाकू
साल 2011 में 35-69 आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए तंबाकू के सेवन की आर्थिक लागत रु 1,04,500 करोड़ थी. इस बीच तंबाकू के दाम और जीएसटी के कारण अब ये लागत 2 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. देश भर के 13 से 15 साल के कितने लोग तकू का सेवन करते हैं इसका आकलन GYTS नामक सर्वे से किया जाता है. इस सर्वे को भारत सरकार का परिवार कल्याण मंत्रालय (Mohfw), अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (International Institute for Population Sciences) की मदद से करवाता है. अब तक GYTS के 4 सर्वे साल 2003,2006, 2009, 2019 में हुए थे.
किशोरों में Smoking की लत में मामूली कमी
भले ही सिगरेट छोड़ने वालों की संख्या में कमी आई हो लेकिन मौजूदा सर्वे बताता है कि 13 से 15 साल के आयुवर्ग में जहां 8.1 फीसदी किशोर स्मोकिंग कर रहे थे. वहीं 10 साल बाद धूम्रपान करने वाले किशोरों की संख्या मामूली कमी आई है. साल 2019 में धूम्रपान करने वाले किशोरों की संख्या 7.2 फीसदी रह गई है. एक अनुमान के विपरीत Smoking करने वाले लड़का और लड़की में मामूली सा ही अंतर है. धूम्रपान करने वाले लड़के 8.3 फीसदी हैं वहीं लड़कियो में ये फीसदी 6.2 है. हर पांच Smokers में से एक धूम्रपान छोड़ने का प्रयास भी कर रहा है.
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देश के 38 फीसदी पुरुष Smoker
खास तौर पर वयस्कों की बात करें तों NFHS-5 सर्वे बताता है कि 15 साल से ज्यादा आयुवर्ग में तम्बाकू का सेवन करने वाली महिलाओं का 8.9 फीसदी है. अगर पुरुषों की बात करें 38 फीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं. शहरों (28.8 फीसदी) के मुकाबले गावों (42.7 फीसदी) में तंबाकू का सेवन अधिक होता है जो कि एक खतरनाक स्थिति है.
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