डीएनए हिंदी: देश में लगातार बढ़ रहे सड़कों के जाल में एक बड़ी भूमिका पुलों की भी है. ऐसे में इनकी कंडीशन का अंदाजा लगाते रहना बेहद आवश्यक है. इसको लेकर केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक नई नीति बनाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि इससे पुलों की सटीक उम्र पता लगाने में विशेष मदद मिलेगी और हादसों पर विराम लगेगा.
समुद्री पुलों में होगा स्टेनलेस स्टील का प्रयोग
नितिन गडकरी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि उनके मंत्रालय ने एक ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया है. इससे पुल की उम्र का पता लगाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि समुद्री इलाकों में बनने वाले पुलों पर मुख्य तौर स्टेनलेस स्टील का प्रयोग करने के लिए प्लानिंग की जा रही है इससे पुल की शेल्फ लाइफ अधिक हो सकेगी.
गडकरी ने पुलों की कंडीशन के हिसाब से उनकी मरम्मत ने होने को लेकर कहा, "नागपुर में एक रेलवे पुल था. अंग्रेजों के जमाने में लंदन से यह संदेश आता था कि उसकी उम्र कितनी है. उसे कब मरम्मत की जरूरत है. इसके लिहाज से उसकी मरम्मत होती थी लेकिन हमारे यहां पर ऐसा तंत्र नहीं है. इसकी वजह यह है कि कोई भी पहल करने या उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है."
निर्माण कीमत में आ सकती है कमी
दरअसल, नितिन गडकरी वैभव डांगे और नागपुर से संबंध रखने वाले सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक ‘बिल्डिंग ब्रिजेस-शेपिंग द प्यूचर’के विमोचन में मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने कहा, "वैभव डांगे और सच्चिदानंद जोशी की किताब से पुलों को बेहतर बनाने के कई विकल्प सामने आएंगे. इससे यह पता चलेगा कि पुलों को किस तरह की देखरेख या तकनीक की जरूरत है. पुलों के स्पैन को जोड़ने में नई तकनीक को अपनाना होगा. हमारे यहां पर 30 मीटर का स्पैन होता है. मलेशिया में 45 मीटर का स्पैन होता है. इससे पुल की लागत में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आती है."
गौरतलब है कि देश में लगातार बन रहे सड़कों और फ्लाइओवर्स की तकनीक को अपनाने के मामले में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की निजी सक्रियता मानी जाती है. इसी कड़ी में अब वो स्टेनलेस स्टील से निर्मित पुलों को आकार देने की चर्चा कर रहे हैं. वहीं यदि उनका पुलों की उम्र पता करने का कॉन्सेप्ट हकीकत बनता है तो निश्चित ही इससे देश में पुलों के टूटने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.
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