डीएनए हिंदी: गर्मी का मौसम है तो नींबू पानी जैसी सॉफ्ट ड्रिंक्स की डिमांड भी बढ़ जाती है. मगर नींबू पानी को पीने से पहले अगर आपसे पूछा जाए कि ये लेमोनेड है या फ्रूट जूस? बेशक आपको लगे कि ये तो छोटा सा सवाल है, मगर आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि इस सवाल से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है.
क्या है वजह
निम्बूज को फ्रूट जूस कहा जाए या लेमोनेड? यह सवाल नया नहीं है. सात साल से यह मामला चर्चा में है.अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, इस पर जल्द ही सुनवाई भी होने वाली है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही तय हो पाएगा कि निम्बूज फ्रूट जूस कैटेगरी में आता है या लैमोनेड. यह पूरा मामला इस उत्पाद की एक्साइज ड्यूटी से जुड़ा है.
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कंपनी ने दायर की थी याचिका
आराधना फूड्स नाम की एक कंपनी ने इसे लेकर सन् 2015 में याचिका दायर की थी. इसमें मांग की गई थी कि निम्बूज को 'फ्रूट पल्प या फ्रूट जूस' कैटेगरी के बजाय नींबू पानी यानी लैमोनेड के रूप में वर्गीकृत किया जाए. इस पर सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति पी वेंकट सुब्बा राव ने अपने फैसले में निम्बूज को फलों के रस पर आधारित कैटेगरी में रखा था. अब इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल में सुनवाई होने वाली है.
2013 में लॉन्च हुआ था निम्बूज
निम्बूज को सन् 2013 में पेप्सिको ने लॉन्च किया था. इसे असली लेमन जूस विद नो फिज कहकर बाजार में पेश किया गया था. इसी के बाद निम्बूज की इस कैटेगरी को लेकर विवाद शुरू हो गया था. पूछा जाने लगा कि यह फ्रूट जूस है या लेमोनेड!
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Nimbooz नींबू पानी है या फ्रूट जूस? अब सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला