बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है. नये राजनीतिक समीकरण उभर रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपनी 'आप सबकी आवाज' पार्टी का प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी में विलय कर दिया है. इससे आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी लीड एनडीए और भारत गठबंधन के बीच तनाव बढ़ने की संभावना बढ़ गई है.
 
बिहार में फिलहाल भाजपा-जदयू लीड एनडीए और राजद-कांग्रेस लीड महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. लेकिन अब प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जनसुराज पार्टी भी तीसरे विकल्प के तौर पर पूरी ताकत से मैदान में उतर रही है. जन सुराज ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है. प्रशांत किशोर ने राज्य भर में जिलावार दौरे किए हैं और समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंच बनाई है. राज्य के विकास के मुद्दे पर सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष दोनों की कड़ी आलोचना की गई है.

जन सुराज में एक अनुभवी चेहरा

बिहार की राजनीति में आरसीपी सिंह का काफी प्रभाव है. मूल रूप से कुर्मी समुदाय से आने वाले और पूर्व आईएएस अधिकारी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत करीबी सहयोगी थे. उन्होंने नीतीश कुमार के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक सेवाएं प्रदान की थीं. बाद में उन्होंने 2010 में सिविल सेवा छोड़ दी और जेडी(यू) में शामिल हो गए. वह दो बार राज्यसभा गये और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे.

हालांकि, 2021 के बाद नीतीश कुमार से मतभेद पैदा हो गए और उन्होंने नई पार्टी 'आप सबकी आवाज' बना ली. हालाँकि, अब इस पार्टी का जन सुराज में विलय हो गया है और प्रशांत किशोर के साथ मिलकर एक नया राजनीतिक प्रयोग शुरू किया है.

बिहार के शासकों को खुली चुनौती

राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में पहचाने जाने वाले किशोर ने बिहार की राजनीति में सीधे प्रवेश किया है और राज्य में भ्रष्टाचार, विकास की कमी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई है. उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार की खुलकर आलोचना करते हुए कहा, "अगर इन नेताओं ने वास्तव में विकास पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो बिहार आज ऐसी दुर्दशा में नहीं होता."

जन सुराज, एआईएमआईएम और अन्य छोटे दलों की एकता चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे की संभावना का संकेत देती है. किशोर को आरसीपी सिंह के अनुभव से लाभ मिलने की संभावना है, खासकर कुर्मी और ओबीसी मतदाताओं के बीच. हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बिहार जैसे राज्य में, जहां परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र हैं, नई पार्टियों का कितना प्रभाव होगा.


प्रशांत किशोर राज्य में नए नेतृत्व की आवश्यकता की तस्वीर पेश कर रहे हैं. हालाँकि, यह अभी भी अनिश्चित है कि मतदाता पारंपरिक पार्टियों से दूर जाएंगे या नहीं. आरसीपी सिंह का सहयोग और जन सुराज का व्यापक जनसंपर्क एक सशक्त प्रयोग हो सकता है. हालाँकि, अंतिम परिणाम चुनाव के बाद ही पता चलेगा. यह नई जोड़ी फिलहाल बिहार की राजनीति में चर्चा का केंद्र बनी हुई है.

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New political turn in Bihar politics current situation, why tension between NDA and INDIA Alliance will increase
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बिहार की राजनीति में नया सियासी मोड़, एनडीए और भारत गठबंधन में बढ़ेगा तनाव
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बिहार की राजनीति में नया सियासी समीकरण
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बिहार की राजनीति में नया सियासी समीकरण

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बिहार की राजनीति में नया सियासी मोड़, एनडीए और भारत गठबंधन में जानें क्यों बढ़ेगा तनाव

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