डीएनए हिंदी : रोटी और बेटी का संबंध माना जाने वाला नेपाल और भारत का कूटनीतिक रिश्ता दोनों देशों के लिए सर्वाधिक अहम है. वहीं पिछले वर्ष सीमा विवाद और चीन के झांसे में आकर पूर्व नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत के साथ अपने रिश्तों में काफी कड़वाहट पैदा की थी. ऐसे में ओली की सरकार के गिरने के बाद अब नए पीएम शेर बहादुर देउबा भारत के साथ रिश्तों को गर्माहट प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं. जनवरी में उनका संभावित भारत दौरा इस ओर संकेत भी दे रहा है.
गुजरात आ रहे हैं पीएम देउबा
अगले महीने अर्थात ने नए साल के मौके पर गुजरात सरकार वाइब्रंट गुजरात इनवेस्टर समिट आयोजित करने वाली है. इस मौके पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत दौरे पर आने वाले हैं और वो भी इस इनवेस्टर समिट का हिस्सा बनने वाले हैं. देउबा की पीएम बनने के बाद ये दूसरी विदेश यात्रा है. ऐसे में उनके इस दौरे को भारत नेपाल के कूटनीतिक रिश्तों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है.
पीएम मोदी ने किया था आमंत्रित
देउबा की इस यात्रा को लेकर खास बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में शेर बहादुर देउबा को भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया था. ग्लास्गो सम्मेलन के बाद के पीएम के न्योते के कारण इस दिशा में बड़े डेवेलपमेंट देखे गए हैं. वाइब्रंट गुजरात के समिट के बाद देउबा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात की भी संभावनाएं हैं. इस दौरान दोनों पिछले एक साल से बिगड़ते कूटनीतिक रिश्तों को पुनः पटरी पर लाने के प्रयास कर सकते हैं.
देउबा के पहले पूर्व नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने चीन की तत्कालीन काठमांडु स्थित राजदूत हाओ यांकी के बहकावे में आकर भारत के खिलाफ अजीबो-गरीब बयान दिए थे. इसके चलते दोनों देशों के बीच सीमा पर भी तनाव की स्थिति आ गई थी. इसके विपरीत अब देउबा के इस दौरे को भारत एवं नेपाल के कूटनीतिक रिश्तों के लिए अहम माना जा रहा है. नेपाल भारत के लिए सदा ही एक सहयोगी रहा है. वहीं भारत ने भी नेपाल की संप्रभुता को बचाने में चीन के खिलाफ सदैव आवाज बुलंद की है.
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