डीएनए हिंदीः किसी भी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड बेहद निजी होते हैं. इनका इस्तेमाल पति-पत्नी एक दूसरे पर अवैध संबंध के आरोप साबित करने के लिए नहीं कर सकते हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच ने अपने ऐतिहासिक आदेश में कहा कि मेडिकल रिकॉर्ड का प्रयोग केवल तब किया जा सकता है जब उसमें सार्वजनिक हित जुड़ा हो. न्यायमूर्ति एनएस संजय गौड़ा ने 30 मार्च के आदेश को रद्द करते हुए कहा, "यदि इस दृष्टिकोण को स्वीकार किया जाना है तो डॉक्टर-मरीज की गोपनीयता की पूरी अवधारणा नष्ट हो जाएगी.  यह किसी डॉक्टर को वैवाहिक विवाद में घसीटने के समान होगा.  

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हाईकोर्ट ने यह आदेश पति द्वारा पेश किए गए एक आवेदन पर पारित किया, जिसमें अपनी पत्नी के कथित गर्भपात से संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए एक डॉक्टर को बुलाने की मांग की गई थी. पत्नी ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड व्यक्ति के लिए "बिल्कुल निजी" हैं और पति सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा इसकी मांग नहीं की जा सकती है. पति ने तर्क दिया कि उसने "व्यभिचारी जीवन" के बारे में आरोप लगाया था. इसे साबित करने के लिए ये जरूरी है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस संजय गौड़ा ने पत्नी की ओर से दायर याचिका को मंजूर कर लिया.

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न्यायाधीश ने कहा कि एक चिकित्सक को उसकी घोषणा के उल्लंघन में कार्य करने के लिए निर्देशित करने की शक्ति का प्रयोग केवल तब किया जा सकता है जब उसमें सार्वजनिक हित का कोई तत्व शामिल हो. कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड निजी हैं और सार्वजनिक उपभोग के लिए नहीं हैं, न्यायाधीश ने कहा कि मेडिकल प्रेक्टिशनर को उन रिकॉर्ड्स को पेश करने या जानकारी प्रकट करने का निर्देश जो उसके पास है, गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.  

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Medical records private, can’t be used to prove adultery says Karnataka High Court
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मेडिकल रिकॉर्ड निजी, अवैध संबंध साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
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