डीएनए हिंदी: मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीज जारी जातीय हिंसा थमी नहीं है. मणिपुर के हालात पर गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. शनिवार को हुई इस बैठक में विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं. बैठक में शामिल मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करनी चाहिए थी. विपक्ष ने यह भी मांग की है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए.
मीटिंग में सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर के हालात को लेकर एक प्रजेंटेशन दिया. मणिपुर में हिंसा कैसे शुरू हुई, हिंसा के क्या कारण रहे, हिंसा को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और शांति स्थापित करने के लिए भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे, इन विषयों पर चर्चा की गई है.
विपक्षी दलों की बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने क्या कहा?
बैठक में शामिल सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बात रखी और सुझाव दिए. इसके बाद बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सभी दलों को भरोसा दिया कि उनके सुझावों को नोट कर लिया गया है और संबंधित अधिकारियों से चर्चा के बाद उन पर फैसला किया जाएगा.
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प्रधामंत्री मोदी की मणिपुर के हर घटनाक्रम पर है नजर
गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक में मौजूद तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को मणिपुर के राजनीतिक हालात की जानकारी दी. यह भी बताया कि ऐसा एक भी दिन नहीं गया, जब प्रधानमंत्री ने मणिपुर के हालात को लेकर उनसे बात नहीं की हो और जानकारी नहीं ली हो. उन्होंने बैठक में सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर ही मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं.
अब क्या करेगी सरकार?
अमित शाह ने बैठक में यह भी जानकारी दी कि यह एक अच्छी बात है कि पिछले लगभग 13 जून से राज्य में किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गई है. आगे कोशिश जारी है कि राज्य में इसी प्रकार से शांति स्थापित रहे और जो छिटपुट घटनाएं जारी हैं, उसको किस तरह से काबू किया जा सकता है, इसको लेकर भी गृह मंत्री ने विस्तार से अपनी बात कही. मणिपुर हिंसा की रोकथाम के लिए केंद्रीय बल जोर-शोर से काम कर रहे हैं.
सर्वदलीय बैठक पर क्या कह रहे हैं विपक्ष के नेता?
आरजेडी नेता मनोज झा ने बैठक के बाद कहा कि राज्य की जनता का, राज्य चलाने वाले पर (मुख्यमंत्री) भरोसा नहीं है इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने एक ऑल पार्टी डेलिगेशन मणिपुर ले जाने की मांग की. कई अन्य राजनीतिक दलों ने भी आरजेडी और टीएमसी की मांग का समर्थन किया.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अगर कोई मणिपुर को अच्छी तरह से जानता है, तो वह इबोबी सिंह हैं और वह अभी भी विधायक हैं. जून 2001 में मणिपुर जल रहा था, जब अटल बिहारी वाजपेयी मुख्यमंत्री थे और उसके बाद मणिपुर पटरी पर आ गया क्योंकि इबोबी सिंह ने एक स्थिर सरकार दी. तीन घंटे की बैठक में उन्हें केवल सात-आठ मिनट देना दु:खद और अपमानजनक है.
अपनी पार्टी की आठ मांगों को बरकरार रखते हुए रमेश ने कहा, इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी, जिन्होंने पिछले 50 दिन में मणिपुर पर एक भी शब्द नहीं कहा है. बेहतर होता यदि इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की गई होती और यह सर्वदलीय बैठक इंफाल में आयोजित की गई होती. इससे मणिपुर के लोगों को स्पष्ट संदेश जाता कि उनका दर्द और संकट भी राष्ट्रीय पीड़ा का विषय है. उन्होंने यह भी मांग की कि सभी सशस्त्र समूहों को बिना किसी समझौते के तुरंत निरस्त्र किया जाना चाहिए.
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मणिपुर में BJP के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री को तुरंत बदला जाना चाहिए क्योंकि राज्य सरकार प्रभावी शासन प्रदान करने में बुरी तरह विफल रही है, जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी. मुख्यमंत्री खुद दो बार सार्वजनिक रूप से स्थिति को संभालने और संकट से निपटने में अपनी विफलता स्वीकार कर चुके हैं. उन्होंने लोगों से माफी भी मांगी है. (इनपुट: IANS)
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मणिपुर हिंसा पर सर्वदलीय बैठक का क्या निकला नतीजा, विपक्ष की है क्या है मांग, अब क्या करेगी केंद्र सरकार?