डीएनए हिंदी: अजमेर से एक बहुत ही अलग और हटके खबर आई है. यहां जेल में सजा काट रहे एक शख्स को संतान उत्पत्ति के लिए 15 दिन की पैरोल दी है. दरअसल इस शख्स की कोई संतान नहीं थी और यह जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था. इस वजह से उसकी पत्नी ने अजमेर कलेक्टर को अर्जी दी थी कि संतान उत्पत्ति के लिए उसके पति को पैरोल दी जाए. वहां से कोई जवाब नहीं मिला तो महिला हाईकोर्ट की शरण में गई. हाईकोर्ट जज संदीप मेहता और फरजंद अली की खंडपीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए 15 दिन की पैरोल मंजूर कर दी.
भीलवाड़ा के रहने वाले नंदलाल (34 साल) को एडीजे कोर्ट ने 6 फरवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब से वह अजमेर की जेल में बंद है. 18 मई 2021 को उसे 20 दिन की पैरोल मिली थी. वह तय समय पर वापस लौट आया था. उसकी पत्नी ने अजमेर कलेक्टर जो कि पैरोल कमेटी के चेयरमैन भी हैं उन्हें अर्जी दी. उसे शादी से कोई परेशानी नहीं है लेकिन उसकी कोई संतान नहीं है. इसलिए संतान उत्पत्ति के लिए उसके पति को 15 दिल की पैरोल दी जाए. कलेक्टर ने अर्जी पर कोई कार्रवाई नहीं की तो नंदलाल की पत्नी हाईकोर्ट पहुंच हई और गुहार लगाई. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कहा कि यह विवादित नहीं है कि कैदी की शादी प्रार्थी से हुई है. वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान को धार्मिक दर्शन, भारतीय संस्क-ति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के जरिए मान्यता दी गई है.
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कोर्ट ने कहा कि अगर हम मामले को धार्मिक पहलू से देखें तो हिंदु दर्शन के मुताबिक गर्भधान यानी कि गर्भ का धन प्राप्त करना 16 संस्कारों में पहला है. संतान और समृद्धि के लिए बार-बार प्रार्थना की जाती है इसलिए धार्मिक दर्शन, सांस्कृतिक, सामाजिक और माननीय पहलुओं पर विचार करते हुए कैदी को 15 दिन की पैरोल मंजूर कर दी.
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उम्रकैद की सजा काट रहा था कैदी, बच्चा पैदा करने के लिए मिली 15 दिन की Parole