डीएनए हिंदीः तीसरी बार विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज कर चुकीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रत्येक मुद्दे पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेती हैं. उनका ये रवैया बताता है कि वो पीएम मोदी के सामने स्वयं को प्रोजेक्ट करना चाहती हैं. इसके विपरीत ममता मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को तवज्जो नहीं देती हैं. ममता के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भले ही कांग्रेस को सुझाव दे रहे हों किन्तु वो विपक्षी एकता के नाम पर ममता के लिए माहौल बनाने के प्रयास कर रहे हैं. विपक्षी एकता के इसी घटनाक्रम के बीच संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पुनः ममता का दिल्ली दौरा प्रस्तावित है, जो कि कांग्रेस के लिए ही घातक है.
चार दिनों का व्यस्त दौरा
पश्चिम बंगाल की सीएम एवं टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी चार दिनों के दिल्ली दौरे पर हैं. उनका ये दौरा इस लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वो 29 नवंबर से शुरु होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले आ रही हैं. जानकारों का मानना है कि इस दौरे में ममता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकती हैं, जिसमें सबसे ज्याादा आक्रामकता वो बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ने पर दिखा सकती है. इसके अलावा वो इस दौरान कृषि कानूनों का पारित होना, एवं फिर रद्द होना जैसे मुद्दों को उठा सकती हैं.
खास बात ये है कि संसद के सत्र से पहले ममता दीदी विपक्षी दलों एवं एक बड़े विपक्षी नेताओं के वर्ग से भी बातचीत कर सकती है, जिसमें एनसीपी नेता शरद पवार का नाम भी है. ऐसे में ममता का ये रवैया सर्वाधिक झटका प्रमुख विपक्षाी दल कांग्रेस के लिए हो सकता है.
कांग्रेस का किया दरकिनार
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जब ममता बनर्जी दिल्ली आईं थीं, तो उनकी कांग्रेस की अंतरिंम अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात को विपक्षी एकता का पर्याय माना जा रहा था. इसके विपरीत ममता ने मुलाकात के बाद सोशल मीडिया की राजनीति से बचने की सलाह देते हुए राहुल गांधी पर ही हमला बोला. स्पष्ट था कि ममता राहुल का नेतृत्व स्वीकार नहीं करने वालीं... वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की जगह लेने के लिए टीएमसी त्रिपुरा से लेकर गोवा तक अपना विस्तार कर रही है, इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है, क्योंकि टीएमसी अब स्वयं को कांग्रेस की जगह पर दिखाना चाहती है.
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