डीएनए हिंदी: बॉलीवुड की जिस फिल्म में मुंबई का जिक्र हो, वहां काली-पीली रंग से रंगी हुई फीएट की कार प्रीमियर पद्मिनी न नजर आए, ऐसा हो नहीं सकता है. मुंबई के रेलवे स्टेशनों के पास खड़ी, सड़कों पर नजर आने वाली इन टैक्सियों को मुंबई की शान कहते हैं, पर अब ये कभी नजर नहीं आएंगी. आखिरी बार पद्मिनी कार का रजिस्ट्रेशन 2003 में हुआ था. इसे अब रिन्यू नहीं कराया जा सकेगा.
आधुनिक गाड़ियों की होड़ की वजह से इनका क्रेज धीरे-धीरे खत्म हो रहा था, पर अब ये पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी. अब ओला और ऊबर जैसी कंपनियों की मौजूदगी है और नॉर्मल टैक्सी का दौर पुराना हो गया है. टैक्सी मतलब पद्मिनी हो गई थी पर मुंबई की ये पहचान, आखिरी दौर में है.
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सोमवार से सड़क पर नहीं नजर आएगी पद्मिनी
महाराष्ट्र के परिवहन विभाग के मुताबिक ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन ताड़देव आरटीओ में होता है. आखिरी प्रीमियर पद्मिनी कार का रजिस्ट्रेशन 29 अक्टूबर 2003 को हुआ था. मुंबई में टैक्सी की आयुसीमा 20 साल है. ऐसे में अब ये गाड़ियां स्क्रैप में भेजी जा सकती हैं. सोमवार से ऐसी टैक्सियां सड़कों पर नजर नहीं आएंगी.
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60 साल में बन गई थी पद्मिनी की अलग पहचान
प्रीमियर पद्मिनी की मुंबई में अलग पहचान बन गई थी. कंफर्ट के लिहाज से ये गाड़ी बेहद शानदार थी. कार की शुरुआत 1964 में हुआ ता. कार का मॉडल फीएट-1100 डिलाइट था. 1200 सीसी की ये कार दिखने में भी बेहद खूबसूरत थी. इस कार को प्रीमियर ऑटोमोबाइल लिमिटेड बनाती थी. साल 2001 में इस कार की मैन्युफैक्चरिंग बंद हो गई थी. ये टैक्सी छोटी थी लेकिन स्पेस ज्यादा था. टैक्सी के तौर पर लोगों की यह पहली पसंद बन गई थी.
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मुंबई की शान 'काली-पीली' टैक्सी अब सड़कों पर नहीं आएगी नजर