डीएनए हिंदी: भारत में प्रोजेक्ट चीता को लगातार बुरी खबर आ रही है. आज एक बार फिर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से 2 चीतों के मरने की खबर आई है. कुनो में मादा चीता ज्वाला के दो और शवकों की मौत हो गई है. दो दिन पहले ही उसके एक शावक की मौत हुई थी. ज्वाला ने इस साल मार्च में चार शावकों को जन्म दिया था. इनमें से अब तक 3 की मौत हो चुकी है. वन विभाग की टीम इस बात का पता लगाने में जुटी है कि आखिर शावकों की इस मौत के क्या कारण हैं.
बता दें कि हाल ही में 23 मई को भी एक शावक की मौत हो गई थी. भारत में 70 साल बाद नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद एक शावक की मौत हो गई थी. वहीं स्थिति को देखते हुए शेष 3 शावकों और मादा चीता ज्वाला को वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम की निगरानी में रखा गया था. ऐसे में अब तक 3 शावकों और 3 चीतों की मौत कूनो नेशनल पार्क में हो चुकी है.
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मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता ज्वाला के दो ओर शावकों की मौत हुई। उसके एक शावक की पहले ही मौत हो गई थी। सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम वजन एवं अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए। एक शावक शेष बचा है जिसकी हालत गंभीर है। pic.twitter.com/mRVw5GxBu0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 25, 2023
गर्मी की वजह से हुई दो शावकों की मौत
दो चीता शावकों की मौत को लेकर मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बताया है कि 23 मई को भीषण गर्मी रही और लू चलती रही है. इसके कारण तीनों शावकों की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आश्यक उपचार करने का फैसला किया गया था. इन प्रयासों के बावजूद दो शावकों की स्थिति बहुत खराब हो गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है.
चौथे शावक की भी हालत गंभीर
अब तक 4 में से तीन चीतों की मौत हो गई है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि 1 शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उसे इलाज के लिए पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है. इलाज के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों और डॉक्टरों से भी सलाह ली जा रही है.
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गर्मी के चलते सांस नहीं ले पा रहे चीते
अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि सभी चीता शावक सामान्य से कम वजन और अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए हैं. मादा चीता ज्वाला पहली बार मां बनी थी. चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है और इस अवस्था में चीता शावक सामान्यत: जिज्ञासू होते हैं और मां के साथ ही चलते हैं. चीता शावकों ने अभी लगभग 8 से 10 दिन पहले ही मां के साथ घूमना शुरू किया था.
इस मामले में चीता विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य रूप से अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है. नियमों के मुताबिक शावकों के पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है.
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भारत में 70 साल बाद जन्मे 4 चीतों में से 3 की मौत, पढ़ें कूनो में क्यों सांस नहीं ले पा रहे चीते