डीएनए हिंदी: लता मंगेशकर के निधन की खबर आते ही देश और दुनिया भर से फैंस उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे थे. पीएम नरेंद्र मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से लेकर कई जानी-मानी हस्तियां उनके पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए मुंबई के शिवाजी पार्क पहुंची थीं. शाहरुख खान भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने इस्लामिक तरीके से दिवंगत लता के लिए दुआ पढ़कर फूंक मारी थी. सोशल मीडिया पर इसे लेकर बवाल हो गया और कुछ लोगों ने थूकने का आरोप लगाया था. जानें, इस पर इस्लाम के जानकारों का क्या कहना है.
दुआ के बाद फूंक मारी जाती है
डॉक्टर जाहिर काजी प्रेसिडेंट अंजुमन आई इस्लाम एजुकेशन ट्रस्ट पेशे से रेडियोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने इस विवाद पर कहा, 'जो तस्वीर सामने आई है वह पूरे मुल्क के लिए एक बेहद अच्छी तस्वीर थी. दुआ एक पाक चीज है जिसे हम दूसरों की सुरक्षा और अच्छी सेहत के लिए करते हैं. इस तरह हाथ उठा कर हम ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि हमारी अर्जी कबूल करे. दुआ के बाद फूंक मारी जाती है, इसे दम करना भी कहते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वो दुआ कूबुल हो. उन्होंने कहा, 'लोगों को पता नही होता ऐसे में गलतफहमी हो जाती है. दुआएं बहुत तरह की होती हैं. आयतों को पढ़कर फूंक मारते हैं. यह दुआ मांगने का एक तरीका है. ईसाई धर्म में गॉड ब्लेस या रेस्ट इन पीस कहा जाता है. हिंदुओं में ओम शांति कहते हैं. उसी तरह इस्लाम में दुआ करते हैं और दुआ के बाद फूंक मारी जाती है. दुआओं की कई वजह हो सकती है. फूंक एक तरीका है जिससे ये दर्शाया जाता है की दुआ कबूल हो या उस व्यक्ति तक पहुंचे.'
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रूह को शांति मिले इसलिए मारते हैं फूंक
इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती मंजूर जीयाई का कहना है, 'जब किसी का इंतकाल हो जाता है तो दुआएं की जाती हैं. ऐसा इसलिए करते हैं ताकि अल्लाह उनकी आत्मा को शांति दे. उनके रूह को सुकून दे. जब दुआ करते हैं, कलमा पढ़ते हैं तो हमारे अंदर एक ऊर्जा आती है और जब हम फूंक(दम) मारते हैं तो यह दुआ और पाक ऊर्जा हम उस व्यक्ति या उसके शरीर में भेजते हैं.
इनपुट: मुंबई से निलेश शुक्ला
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