डीएनए हिंदी: कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र की यादव मार्केट चौकी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है. इन पर दलित व्यक्तियों को झूठे केस में फंसाने के आरोप हैं. खबरों के मुताबिक दलित व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने के मामले में प्राथमिक जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है. वहीं दोषी पाए जाने पर चौकी में तैनात 14 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.
वहीं अब इस केस में अब बर्रा थाना प्रभारी और एसीपी गोविंदनगर की भूमिका की भी जांच की जा रही है. आपको बता दें कि बर्रा थाना क्षेत्र में रहने वाले महादेव का उमराव नाम के शख्स से मकान को लेकर विवाद चल रहा था. कुछ दिन पहले उमराव साथियों संग महादेव के घर में घुस गया और उसके परिवार से जमकर मारपीट की. उमराव ने दलित परिवार को बेदखल कर मकान पर कब्जा कर लिया. इस घटना में महादेव की बेटी के सिर में चोट लग गई.
वहीं महादेव की शिकायत पर उमराव के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट व डकैती के तहत मामला दर्ज किया गया. आरोप है कि कब्जे के दौरान पुलिसकर्मियों की भी मौजूदगी थी. एसीपी गोविंद नगर ने मामले की जांच के बाद डकैती की धारा को हटा दिया. इतना ही नहीं पुलिस ने उल्टा महादेव पर चोरी का मामला दर्ज कर लिया. इस मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंची थी जिसके बाद एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर को जांच सौंपी गई थी.
इस मामले की जांच कर रहे एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर की जांच में पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पायी गई है. एडीसीपी की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने यादव मार्केट इंचार्ज समेत तीन दरोगा, चार हेड कॉन्स्टेबल और सात सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया. इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं. वहीं थाना प्रभारी बर्रा और एसीपी गोविंद नगर की भूमिका की भी जांच की जा रही है.
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इनके पुलिसकर्मियों की बात करें तो यादव मार्केट चौकी इंचार्ज आशीष कुमार मिश्रा, एसआई राहुल कुमार गौतम व जयवीर सिंह, हेड कांस्टेबल गणेश कुमार, कमलापति, प्रदीप कुमार शिव प्रताप और सिपाही लोकेश कुमार, नवनीत राजपूत, अश्वनी कुमार, भूपेंद्र दीक्षित, नागेंद्र सिंह चौहान, अतुल कुमार व जितेंद्र सिंह पर कार्रवाई की गई है.
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