डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के जलगांव में एक पुरानी मस्जिद को लेकर बड़ा बवाल हो गया है. यहां हिंदू संगठनों ने इस जगह मंदिर होने का दावा किया है, जिसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने भी रिएक्शंस में मस्जिद के दस्तावेज पेश कर दिए थे. इस बीच अब इस मामले में जिला कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए मस्जिद में नमाज पढ़े जाने पर रोक लगा दी है, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष नाराज है और वो इस मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गए हैं. मुस्लिम पक्ष ने जिला कलेक्टर पर बात न सुनने के आरोप लगाए हैं.
दरअसल, जलगांव के पांडववाड़ा हिंदू संगठन के लोगों का दावा है कि यह मंदिर है और आज का नहीं बल्कि काफी प्राचीन मंदिर है. हिंदू संगठनों ने इस मामले में इलाके के मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर कब्जा करने के साथ ही उसे मस्जिद में बदलने के आरोप लगाए हैं. वहीं मस्जिद की जुम्मा ट्रस्ट कमेटी का दावा है कि मस्जिद आज की नहीं 1861 की है, जिसके उनकी तरफ से कागज भी पेश किए गए हैं.
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कलेक्टर ने लगा दी नमाज पर रोक
ऐसे में लगातार विवाद बढ़ता देख जब जिला कलेक्टर ने नमाज पर रोक लगा दी तो अब यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के पास पहुंच गया है. जुम्मा ट्रस्ट कमेटी ने कलेक्टर अमन मित्तल के फैसले के खिलाफ कोर्ट का रुख किया है. जिला कलेक्टर ने 11 जुलाई को मस्जिद में नमाज पर रोक लगाई थी.
हिंदू संगठन ने बताया अतिक्रमण
जानकारों के अनुसार पूरा मामला मस्जिद द्वारा मौजूदा ढांचे के विस्तार के दौरान कुछ टिन शेड स्थापित करने के बाद हुआ है. जलगांव कलेक्टर अमन मित्तल को समिति से एक अपील मिली, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक अतिक्रमण है. इसके बाद दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद विवाद को रोकने के लिए मस्जिद में नमाज पर रोक लगा दी गई है.
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क्या है मुस्लिम पक्ष का दावा
वहीं जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने कहा कि यह साबित करने के लिए दस्तावेज़ हैं कि यह ढांचा 31 अक्टूबर, 1861 से अस्तित्व में है. उन्होंने दावा किया है कि महाराष्ट्र सरकार ने मस्जिद के ढांचे को प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है और इसे संरक्षित स्मारकों की सूची में रखा गया है. मस्जिद का नाम पांडववाड़ा मस्जिद है. मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में भी पंजीकृत है लेकिन हिंदू पक्ष इसे मंदिर बताता जा रहा है.
कलेक्टर पर लगाया एकतरफा कार्रवाई का आरोप
जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट की तरफ से याचिका दायर करने वाले वकील एसएस काजी ने कोर्ट से याचिका के जरिए कहा है कि वे 11 जुलाई को कलेक्टर के सामने पेश हुए और अनुरोध किया कि उन्हें पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर उचित जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि 'कलेक्टर ट्रस्ट की ओर से कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे और 11 जुलाई को कोई अवसर दिए बिना, कलेक्टर ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 और 145 के तहत एक आदेश पारित कर दिया. जो कि आपत्तिजनक है.
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मुस्लिम पक्ष द्वारा कहा गया है कि पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत आवेदन, नफरत फैलाने वाले भाषण के बाद आया है और यह स्पष्ट करता है कि पांडववाड़ा संघर्ष समिति एक वक्ता सतीश चौहान के भाषण से प्रभावित है. याचिका में कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी है. जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट की तरफ से कहा गया कि यह कानून के विपरीत है और मामले के गुण-दोष के विरुद्ध, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक है.
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जलगांव में मंदिर-मस्जिद पर बवाल, कलेक्टर ने नमाज पर लगाई रोक तो HC तक पहुंचा मामला