डीएनए हिंदी: ISRO News- भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) से हाथ मिलाने की तैयारी में है. इसरो अपनी नेक्स्ट जनरेशन हैवी कम्युनिकेशंस सैटेलाइट GSAT-20 को अंतरिक्ष में भेजने के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट फॉल्कन-9 (Falcon-9) की मदद लेने की तैयारी में है. फॉल्कन-9 एक हैवी लिफ्ट लॉन्चर है, जिसे स्पेसएक्स का सबसे विश्वसनीय लॉन्चिंग व्हीकल माना जाता है. फॉल्कन-9 भारतीय सैटेलाइट को लेकर अमेरिका के फ्लोरिडा से अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा. यह पहला मौका होगा, जब भारत का अंतरिक्ष विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी सैटेलाइट के लिए फॉल्कन-9 का उपयोग करेंगे.

इसरो की कमजोरी है भारी सैटेलाइट की लॉन्चिंग

पूरी दुनिया में अंतरिक्ष अभियानों के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर और सफल संस्था इसरो को माना जाता है, लेकिन इसरो के पास अब भी बहुत ज्यादा भारी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता वाले रॉकेट मौजूद नहीं हैं. इसरो और स्पेसएक्स के बीच हुई डील से यह कमजोरी एक बार फिर सामने आ गई है. इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा, भारत को स्पेसएक्स के साथ ही काम करना होगा, क्योंकि कोई भी अन्य रॉकेट इस समय उपलब्ध नहीं है.

अप्रैल से जून के बीच होगी लॉन्चिंग

इसरो के कॉमर्शियल आर्म न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने अपनी सैटेलाइट को लॉन्च कराने के लिए स्पेसएक्स के साथ लिखित समझौता किया है. यह लॉन्चिंग इस साल के दूसरे तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच हो सकती है. इसरो की स्पेसएक्स के साथ डील को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि अब तक भारत हैवी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए फ्रांस के नेतृत्व वाले एरियन स्पेस कंसोर्टियम पर भरोसा करता रहा है. 

4 टन वजन की सैटलाइट ही ले जा सकते हैं भारतीय रॉकेट

भारत के रॉकेट अंतरिक्ष अभियानों में बेहद सफल रहे हैं, लेकिन अब तक बहुत ज्यादा भारी सैटेलाइट को लॉन्च करने लायक रॉकेट भारत के पास नहीं है. भारत 4 टन से कम वजन वाली सैटेलाइट को ही पृथ्वी से ऊपर की कक्षा में शिफ्ट कर सकता है.

4.7 टन वजन की है GSAT-20 सैटेलाइट

NSIL के मुताबिक, GSAT-20 सैटेलाइट का वजन करीब 4.7 टन या 4700 किलोग्राम है. यह सैटेलाइट Ka-Ka बैंड के जरिये 32 बीम वाली हाई थ्रूपुट (HTS) कैपेसिटी उपलब्ध कराएगा, जो अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप समेत पूरे भारत को कवरेज देगा. इसकी HTS करीब 48 GBPS रहेगी. यह सैटेलाइट खासतौर पर रिमोट या अनकनेक्टेड रीजन की सर्विस डिमांड को पूरा करेगी.

इसरो जल्द लाएगी 10,000 किलोग्राम वजन उठाने वाला रॉकेट

इसरो का सबसे बड़ा लॉन्च व्हीकल या रॉकेट Mark-3 है, जिसे बाहुबली भी कहा जाता है. यह रॉकेट केवल 4,000 किलोग्राम का वजन ही उठाकर आकाश में ले जा सकता है. इसरो चीफ एस. सोमनाथ लगातार नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) तैयार करने पर जोर दे रहे हैं, जो उसी ऑर्बिट में 10,000 किलोग्राम तक का वजन उठाकर उड़ान भरने में सक्षम होगा. इसका डिजाइन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में तैयार किया जा रहा है. हालांकि इसे हकीकत का जामा पहनने में अभी कई साल का वक्त लगेगा. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
ISro to launch first time Its GSAT 20 satellite on elon musk SpaceX's Falcon-9 Rocket read latest news
Short Title
ISRO लेगा अपने सैटेलाइट के लिए एलन मस्क की मदद, बनाई है ये खास योजना
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Chandrayaan-3 की सफलता से खुश इसरो अब Falcon-9 रॉकेट से सैटेलाइट लॉन्च करेगी.
Caption

Chandrayaan-3 की सफलता से खुश इसरो अब Falcon-9 रॉकेट से सैटेलाइट लॉन्च करेगी.

Date updated
Date published
Home Title

ISRO लेगा अपने सैटेलाइट के लिए एलन मस्क की मदद, बनाई है ये खास योजना

Word Count
530
Author Type
Author