डीएनए हिंदीः चीन की कुटिलता भारत के लिए सर्वाधिक खतरनाक रही है. लद्दाख में भारत एवं चीन के सैनिकों की झड़प हुए लगभग डेढ़ वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है. भले ही सैन्य से लेकर राजनीतिक स्तर पर वार्तालाप का दौर जारी हो किन्तु भारत सरकार अपनी रक्षात्मक स्थिति मजबूत करने के लिए प्रत्येक संभव प्रयास कर रही है. चीनियों की हरकतों पर नजर रखना बेहद आवश्यक है. इसके लिए अब भारत सरकार लद्दाख में ही अत्याधुनिक इजराइली ड्रोन का सर्विलांस सिस्टम लगाने वाली है.
इजराइल से खरीदे ड्रोन
लद्दाख का इलाका बेहद ही असहज माना जाता है. ठंड से लेकर आधारभूत सुविधाओं की कमी के बीच भारतीय सेना बेहतरीन ढंग से चीनी पीएलए से टक्कर ले रही है. वहीं अब सैनिकों की मुश्किलों को कम करने के लिए मोदी सरकार रक्षाा क्षेत्र में अग्रणी माने जाने वाले भारत के सहयोगी देश इजराइल से अत्याधुनिक ड्रोन खरीद चुकी है और इन्हें लद्दाख के लिए ही खरीदा गया है. इसकी मदद से भारतीय सैनिक चीन के सैनिकों पर पल-पल नजर रखने में सफल होंगे.
क्या है इस ड्रोन की विशेषता
भारत सरकार ने चीन के साथ खतरे को देखते हुए इमरजेंसी पैसे के खर्च से इन स्पेशल इजराइली हेरॉन ड्रोन खरीदे हैं. इन ड्रोन की खास बात ये भी है कि इनके जरिए सैनिकों को करीब 30 हजार फीट से भी किसी पल-पल की जानकारी पहुंचा सकते हैं. इनके जरिए लद्दाख या वहां से सटे चीनी इलाकों तक की आसानी से सर्विंलांस की जा सकेगी. इन हेरॉन ड्रोन को ईस्टर्न लद्दाख एरिया में निगरानी के लिए तैनात किया जा रहा हैं. ये सभी ऑपरेशनल हैं और पहले से मौजूद इसी कैटेगरी के अन्य ड्रोन्स से कहीं ज्यादा बेहतर हैं.
क्या है इमरजेंसी खरीद का प्रवाधान
दरअसल, इस वर्ष ही मोदी सरकार ने सेनाओं को जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी खरीद के विशेषाधिकार दिए थे. इसके तहत सेना चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच अपनी युद्धक क्षमताओं को विस्तार देने के लिए 500 करोड़ तक की रक्षा सामाग्री खरीद सकती है. इजराइल से ये ड्रोन इसी विशेषाधिकार के तहत लिए गए हैं. खबरों के मुताबिक सेना इसी इमरजेंसी खरीद के विशेषाधिकार के तहत कई अन्य रक्षा सामाग्री भी खरीद सकती है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार पिछले एक वर्ष से लगातार लद्दाख में सैन्य क्षमता में विस्तार कर रही है. इस इलाके में एय़रपोर्ट बनाने से लेकर हैलीपैड स्थापित करना, अत्याधुनिक एंटी मिसाइल सिस्टम की तैनाती, टी-90 एवं टी-72 टैंक्स का युद्धाभ्यास समेत राफेल विमानों की स्कवाड्रन की तैनाती इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार चीन के साथ जरा सी भी ढील देने के मूड में नहीं है.
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