डीएनए हिंदी: भारतीय सेना के नए चीफ जनरल मनोज पांड ने लद्दाख विवाद पर बड़ा बयान दिया है. सेना प्रमुख जनरल मनोज पांड ने चीन के साथ पूर्व लद्दाख में जारी गतिरोध पर कहा कि भारतीय सेना का उद्देश्य अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करना है. उन्होंने बताया कि किसी भी हालात से निपटने के लिए हमारे पास मजबूत स्थिति और पर्याप्त बल उपलब्ध हैं और सैनिकों को उनके कार्य में दृढ़ रहने के लिए दिशा निर्देश दिया गया है.
सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों देशों के बीच में जारी बातचीत के परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में सैनिक पीछे हटे हैं, हम शेष क्षेत्रों में बातचीत के माध्यम से समाधान की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा कि मूल मुद्दा सीमा का समाधान है, चीन की मंशा सीमा मुद्दे को बरकरार रखने की रही है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिक महत्वपूर्ण स्थानों पर बने हुए हैं.
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थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने जोर दिया कि सीमा पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को पर्याप्त रूप से तैनात किया गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना का उद्देश्य अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करना है और सीमा पर तैनात सैनिकों को उनके कार्य में दृढ़ रहने के लिए दिशानिर्देश दिया गया है.
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उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ‘‘महत्वपूर्ण स्थानों’’ पर बने हुए हैं और सेना किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पास "मजबूत स्थिति" में है. उन्होंने कहा, "मूल मुद्दा सीमा का समाधान है. हम देखते हैं कि चीन की मंशा सीमा मुद्दे को बरकरार रखने की रही है... एक देश के रूप में हमें एक 'संपूर्ण राष्ट्र' दृष्टिकोण की आवश्यकता है और सैन्य क्षेत्र में, यह एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने और उसका मुकाबला करना है."
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जनरल मनोज पांडे ने लगभग एक हफ्ते ही पहले थलसेना की कमान संभाली है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग झील, गोगरा और गलवान में गश्ती केंद्र 14 के उत्तर और दक्षिणों तट पर सैनिकों को हटा लिया गया. इसके साथ ही उन्होंने कहा, "हम शेष क्षेत्रों में भी बातचीत के जरिए समाधान निकलने की उम्मीद करते हैं."
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध 4-5 मई 2020 को शुरू हुआ था और भारत गतिरोध से पहले की स्थिति की बहाली पर जोर देता रहा है. उन्होंने कहा कि उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच विश्वास और शांति स्थापित करना है लेकिन यह "एकतरफा मामला" नहीं हो सकता.
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