डीएनए हिंदी: कोटा मेडिकल कॉलेज (Kota Medical College) में राजस्थान का पहला बोन बैंक (Bone Bank)शुरू हो चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने वीसी के जरिए इस बोन बैंक का लोकार्पण किया. अब इस बोन बैंक में 5 साल तक हड्डियों को प्रिजर्व रखा जा सकेगा. 

क्या होगा फायदा
इस बोन बैंक से प्रदेश में इलाज के दौरान काफी मदद मिलने की उम्मीद है. यहां रखी गई अस्थियों को बोन कैंसर समेत जन्मजात विकृति और अन्य मामलों में बोन रिप्लेसमेंट के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. कोटा मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक और बोन बैंक के इंचार्ज डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि बोन बैंक से मरीजों को काफी फायदा मिलेगा. कोटा में ही अब बोन रिप्लेस हो सकेगी. इतना ही नहीं एक्सीडेंट या किसी हादसे में हाथ पैर टूट जाने पर उसकी बोन ली जा सकेगी. मृत व्यक्तियों के किसी भी निकटतम संबंधियों की सहमति से बोन ली जा सकती है. इसके लिए बोन का हिस्सा कल्चर टेस्ट के लिए भेजा जाता है. 30 मिनट तक एंटीबायोटिक सॉल्यूशन में रखा जाता है.यही नहीं उसे माइनस 80 डिग्री के तापमान में रखा जाएगा. इंफेक्शन नहीं पाए जाने पर शेखर वाटर बाथ में रखा जाएगा फिर दिल्ली के इंस्टीट्यूट में गामा रेडिएशन के लिए भेजेंगे जहां से स्टेरलाइज होकर यह बोन कोटा आएंगी. 

20 लाख में हुआ है तैयार
इसके लिए कोटा मेडिकल कॉलेज की तरफ से लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे. राजस्थान सरकार द्वारा 2018 के बजट में इस बोन बैंक की घोषणा की गई थी. 20 लाख के बजट से इस बोन बैंक को तैयार किया गया है. 

क्या होता है बोन बैंक
बोन बैंक आई बैंक की तरह होते हैं. इनमें डोनर द्वारा दान की गई या ऑपरेशन के दौरान निकाली जाने वाली अस्थियों को डीप फ्रीजर में -40 डिग्री से -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है. किसी को जरूरत पड़ने पर इलाज के समय इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.

इनपुट- हिमांशु मित्तल
 

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कोटा में शुरू हुआ बोन बैंक
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