डीएनए हिंदी: भारत संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के माध्यम से यमन, इथियोपिया, सीरिया और अफगानिस्तान को अपने अन्न भंडार से "उपहार" के रूप में गेहूं और चावल प्रदान करने की योजना बना रहा है. इस मामले को लेकर दो अधिकारियों ने कहा कि यह कदम न केवल भारत की राजनयिक पहुंच को आगे बढ़ाएगा, बल्कि प्रस्तावित योजना से राज्य के स्वामित्व वाले अन्न भंडार में अतिरिक्त खाद्यान्न के भंडारण और परिवहन लागत में भी बचत होगी.
चार देशों का पेट भरेगा भारत
इन चार देशों को केंद्रीय पूल स्टॉक से खाद्यान्न निर्यात करने की योजना है जिसका प्रबंधन भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा किया जाता है एफसीआई केंद्रीय पूल स्टॉक के लिए भारत में उत्पादित लगभग 35% गेहूं की खरीद करता है. केंद्रीय की योजना पिछले एक साथ से लागू है. अधिकारियों के अनुसार डब्ल्यूएफपी ने शुरू में भारत से दो लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की प्रारंभिक आपूर्ति की मांग की थी जिसमें 1.9 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 0.1 लाख मीट्रिक टन चावल शामिल हैं जो जरूरतमंदों में कमजोर आबादी को तत्काल आवश्यकता के रूप में प्रदान करते हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डब्ल्यूएफपी ने बाद में कहा था कि वह बाद में भारत से अधिक खाद्यान्न खरीदना चाहेगी और इस तरह यह योजना ओपन एंडेड होगी. फरवरी में भारत ने 50,000 मीट्रिक टन गेहूं वितरित करने के लिए (WFP) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता दी गई थी. इसके बाद में उसी महीने में कुल 10,000 मीट्रिक टन गेहूं में से 2,500 मीट्रिक टन ले जाने वाले 50 ट्रकों का पहला काफिला डब्ल्यूएफपी द्वारा आबादी के बीच वितरण के लिए अफगानिस्तान पहुंचा था.
भारत के पास है पर्याप्त स्टॉक
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2020-21 के फसल वर्ष में, भारत ने 1,092 लाख मीट्रिक टन (LMT) का गेहूं उत्पादन दर्ज किया जो पिछले 10 वर्षों के औसत से 17% अधिक है. इसने देश में अधिशेष स्टॉक को जोड़ा था. अधिशेष की गणना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न की कुल आवश्यकता को ध्यान में रखकर की जाती है जो लगभग 600 एलएमटी है.
किस देश को कितनी है आवश्यकता
वहीं इसके अलावा एक अधिकारी ने कहा कि चारों देशों के लिए आवश्यक गेहूं की अनुमानित मात्रा 1,90,000 मीट्रिक टन है. इसमें से यमन और अफगानिस्तान को 60,000 मीट्रिक टन, इथियोपिया और सीरिया को 40,000 मीट्रिक टन और 30,000 मीट्रिक टन की आवश्यकता है. सीरिया को भी 10,000 मीट्रिक टन चावल की आवश्यकता है. कहा जाता है कि यमन में गेहूं की सबसे अधिक कमी 2,31,000 मीट्रिक टन है जबकि सीरिया में सबसे कम 65,000 मीट्रिक टन की कमी है. सीरिया में भी 28,000 मीट्रिक टन चावल की अनुमानित कमी है.
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आपको बता दें कि योजना में यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूएफपी 95,000 या 50% गेहूं की खरीद एफसीआई से 240 करोड़ रुपये और चावल की आवश्यक मात्रा का 50% या 5,000 मीट्रिक टन एफसीआई से 90 करोड़ रुपये में खरीदेगा, जिसमें लागत खरीद और परिवहन भी शामिल है. आपको बता दें कि भारत इस वक्कत आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका की भी मदद कर रहा है.
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