डीएनए हिंदी: भारत-चीन में सीमा पर चल रही तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है. रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों के लिए 120 प्रलय सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने को मंजूरी दी है. खास बात यह है कि प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल (Pralay Ballistic Missile) को चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया जाएगा. प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल में 150 से 500 किलोमीटर के बीच दुश्मन के ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता हैं. यह सतह से सतह पर मार करने वाली अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल है. प्रलय बैलेस्टिक मिसाइल की मंजूरी के साथ ही 'रॉकेट बल' बनाने की परियोजना को भी प्रोत्साहन मिला है.
प्रलय मिसाइल (Pralay Missile) की गति करीब 2000 किलोमीटर प्रति घंटा जा सकती है. प्रलय में रात में भी हमला कर सकती है. इसमें इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा है. माना जा रहा है कि यह मिसाइल वायु सेना और थलसेना को उपलब्ध कराई जाएंगी. चीन के पास इस स्तर की डोंगफेंग-12 और पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 और शाहीन मिसाइल हैं. माना जाता है कि पाकिस्तान को इनमें से गजनवी मिसाइल चाइना से मिली है.
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एडवांस तकनीकों से लैस है मिसाइल
प्रलय की सटीकता 10 मीटर है यानी टारगेट के 10 मीटर के दायरे में यह मिसाइल सटीक निशाने के बराबर ही नुकसान करेगी. छोटी दूरी होने का फायदा यह है कि इसे देश की पश्चिमी, पूर्वी या उत्तरी सीमा से लांच करने पर केवल टारगेट एरिया ही नष्ट होगा. इसमें इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए एडवांस मिसाइल को विकसित किया गया है. हवा में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद इसमें अपना रास्ता बदलने की क्षमता है. ये मिसाइलें दुश्मन के हवाई स्थलों को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखती हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में प्रलय मिसाइल का दो बार सफल परीक्षण किया गया था. अब यह प्रथम अवसर है जब बैलिस्टिक मिसाइल को सामरिक अभियानों में इस्तेमाल किया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मिसाइलों का बड़ी संख्या में उत्पादन किया जा सकता है. यह परियोजना सशस्त्र बलों के लिए 'रॉकेट बल' बनाने की महत्वपूर्ण योजना को प्रोत्साहित करेगी. दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी इस प्रकार के रॉकेट बल बनाए जाने के प्रमुख पक्षधर थे. हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भी कहा था कि दिवंगत जनरल बिपिन रावत सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए एक रॉकेट बल के निर्माण पर काम कर रहे थे.
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नौसेना को मिली थी स्कॉर्पीन पनडुब्बी
वहीं, भारतीय नौसेना भी पी-75 की पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी के माध्यम से और अधिक शक्तिशाली हुई है. 20 दिसंबर को यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी, रियर एडमिरल सी रघुराम की मौजूदगी में भारतीय नौसेना को सौंपी गई. स्कॉर्पीन पनडुब्बी विविध प्रकार के लक्ष्यों जैसे एंटी-सरफेस, एंटी- सबमेरीन, इंटेलिजेंस गैदरिंग, माइन लेइंग, एरिया सरविलेंस इत्यादि में निपुण है. इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से एडवांस्ड एकाउस्टिक एबसार्वशन टेक्नीक, लो रेडिएटेड न्याएज लेवल्स और प्रीसिशन गाइडेड वेपन है. यह दुश्मन पर गंभीर आक्रमण करने की क्षमता रखती है. पानी में और सतह दोनों स्थानों पर पनडुब्बी से हमला किया जा सकता है.
(इनपुट- IANS)
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