डीएनए हिंदी: India China News- देश का नाम India होना चाहिए या Bharat, दिल्ली जी-20 सम्मेलन (Delhi G-20 Summit) से पहले यह विवाद राजनीतिक सरगर्मी पर है. हर कोई इसे लेकर ही बात कर रहा है. ऐसे में अब चीन भी बिन बुलाए ही भारत के इस आंतरिक विवाद में 'मास्टर जी' बनकर कूद पड़ा है. चीन ने जी-20 सम्मेलन से ठीक पहले भारत को नाम विवाद पर नसीहत दी है. चीन ने भारत को सलाह दी है कि नाम बदलने से भी ज्यादा बड़े और अहम मुद्दे देश में मौजूद हैं. सरकार को उन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. चीन की भारत के लिए यह सलाह ऐसे समय में आई है, जब वह खुद दूसरे देशों के इलाकों के नाम बदलकर उन्हें नक्शे में अपना हिस्सा दिखाने के विवाद में फंसा हुआ है. चीन ने दो सप्ताह पहले अपना नया स्टैंडर्ड मैप जारी किया है, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और दक्षिण चीन सागर में दूसरे देशों के कई इलाकों को चीन ने अपने हिसाब से नया नाम दिया है और इन पर अपना दावा दिखाया है.
क्या नसीहत दी है चीन ने भारत को
चीनी सरकार के लिए प्रोपेगैंडा चलाने वाले न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स ने इंडिया या भारत नाम विवाद को लेकर एक लेख लिखा है. इस लेख में कहा गया है कि पूरी दुनिया का दिल्ली में होने वाले जी-20 सम्मेलन पर लगा है. ऐसे समय में नई दिल्ली दुनिया को क्या बताना चाहती है? दिसंबर 2022 में जी-20 की अध्यक्षता संभालते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के साल भर के कार्यकाल को समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और एक्शन ओरिएंटड बनाने का ऐलान किया था. निश्चित था कि भारत इस मौके का इस्तेमाल अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने के लिए करना चाहता है. भारत ने विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत इस अध्यक्षता के जरिये दुनिया को क्या संदेश देना चाहता है, लेकिन उसकी बात को ज्यादा लोग सुनेंगे. उम्मीद है कि भारत इस ग्लोबल अटेंशन का बढ़िया इस्तेमाल करेगा और इसे विकास की प्रेरक शक्ति में बदलेगा.
नाम विवाद का उठाया मुद्दा
लेख में भारत की जी-20 अध्यक्षता की चर्चा करने के बाद चीन ने इंडिया या भारत नाम विवाद का मुद्दा उठाया. उसमें लिखा है कि मोदी की पार्टी के नेता देश को इंडिया के बजाय भारत कहने की मांग कर रहे हैं. इंडिया नाम को वे ब्रिटिश उपनिवेशवादियों की गुलामी का प्रतीक बताकर बदलवाना चाहते हैं. यह औपनिवेशक युग के नामों को खत्म करने के प्रयास को दिखाता है. भारतीय अपने देश को जा चाहें कह सकते हैं. उन्हें इसकी आजादी है, लेकिन नाम सबसे अहम चीज नहीं है. जरूरी बात है कि भारत अपनी इकोनॉमी में व्यापक सुधार कर सकता है? यह भारत की तरक्की और वैश्विक मंच पर प्रभाव को बढ़ाने की चाबी है. क्रांतिकारी विकास के लिए भारत को क्रांतिकारी सुधार करना होगा.
लेख में लिखा गया कि भारत ने 1991 में जब आर्थिक उदारीकरण के सुधार शुरू किए थे, इसके बाद मोदी सरकार इन सुधारों को सबसे ज्यादा तेजी से लागू करने वाली सरकार रही है. दुर्भाग्य से भारत तेजी से व्यापार संरक्षणवाद की तरफ से बढ़ रहा है, जिससे पिछले सुधार उपाय बेकार हो रहे हैं. भारत को अपनी इकोनॉमी में सुधार करने, खुलेपन का विस्तार करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और विदेशी निवेशकों को उचित व्यापार वातावरण देने का दृढ़ संकल्प दिखाना चाहिए. इसके लिए भारत को जी-20 की अधयक्षता का उपयोग करना चाहिए. यह नाम बदलने से ज्यादा अहम है.
चीन ने भी भारतीय इकोनॉमी का माना लोहा
चीन ने भारत को नसीहत देने के बीच भारतीय इकोनॉमी की तेज तरक्की का लोहा माना है. लेख में कहा गया कि भारत दुनिया की सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है. ब्रिटेन को पछाड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन चुका है और इस रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है. भारत का लक्ष्य जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का है.
क्या है इंडिया और भारत नाम का विवाद
भारतीय संविधान सभा ने देश के दो नाम स्वीकार किए थे. देश को अंग्रेजी में India और हिंदी में भारत कहा गया था. लंबे समय से देश का नाम एक ही होने की मांग उठती रही है. इस मांग में India को ब्रिटिश तानाशाहों का दिया नाम बताकर देश को उसके पुरातन नाम भारत से ही पुकारे जाने की बात कही जाती रही है. दिल्ली जी-20 सम्मेलन में आने वाले विदेशी राष्ट्र प्रमुखों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की तरफ से रात्रिभोज दिया जाएगा. इस डिनर के लिए राष्ट्रपति भवन की तरफ से निमंत्रण पत्र बांटे गए हैं, जिनमें अंग्रेजी में द्रौपदी मुर्मु को President of India के बजाय President of Bharat लिखा गया है. इसे लेकर ही विपक्षी दलों ने विवाद शुरू किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जी-20 समिट के बाद 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुला रखा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विशेष सत्र देश का नाम बदलने के लिए ही बुलाया जा रहा है. इससे देश में एक बार फिर यह बहस शुरू हो गई है कि नाम बदला जाना चाहिए या नहीं. पूरी तरह भारत के इस आंतरिक मामले में अब चीन भी कूद पड़ा है.
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दूसरों के इलाकों के नाम बदलने वाला चीन बना 'मास्टर जी', G-20 Summit से पहले दी भारत को ऐसी नसीहत