डीएनए हिंदी: Nitish Kumar Latest News- भाजपा नेतृत्व वाले सत्ताधारी NDA गठबंधन के खिलाफ बने विपक्षी दलों के I.N.D.I.A ब्लॉक में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. एकतरफ ये दल आपस में मिलकर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में NDA को हराने का दावा कर रहे हैं. इसके लिए लगातार बैठकों के जरिये समन्वय बनाने की कवायद चल रही है. दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक के दलों में आपसी मनमुटाव की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं. दिल्ली में हुई बैठक के दौरान भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समय आपा खो बैठे, जब उनके संबोधन के बाद द्रमुक सांसद टीआर बालू ने उसका अंग्रेजी ट्रांसलेशन करने की मांग कर दी. नीतीश कुमार ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बताते हुए हर नेता को उसका ज्ञान होना आवश्यक होने की बात कह दी. इससे माहौल में तनाव पैदा हो गया. द्रमुक लगातार हिंदी विरोध की राजनीति करती रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह भाषा विवाद इंडिया ब्लॉक की एकता पर खासा प्रभाव डालने वाला है.
क्या हुआ था पूरा मामला
इंडिया गठबंधन की बैठक मंगलवार शाम को दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित की गई थी. करीब 3 घंटे लंबी बैठक का मकसद आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के सभी दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करना था. नीतीश कुमार ने भी अपनी बात बैठक में रखी. उनके संबोधन के दौरान द्रमुक सांसद टीआर बालू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी बैठक में मौजूद थे. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार के हिंदी में बोलने के कारण संबोधन खत्म होने के बाद टीआर बालू ने लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD के सांसद मनोज कुमार झा को इसका अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए कहा. मनोज झा ने इसकी इजाजत नीतीश कुमार से मांगी तो इस बात पर ही बिहार के सीएम भड़क गए.
नीतीश ने कही ये बात
द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मनोज झा के अनुवाद की इजाजत मांगने पर नाराज हुए नीतीश कुमार ने द्रमुक नेताओं को जमकर लताड़ लगाई. उन्होंने कहा, हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. हमें इस भाषा की समझ होनी चाहिए. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार लगातार इस मुद्दे पर बोलते रहे. उन्होंने ब्रिटिशराज का जिक्र करते हुए अंग्रेजी थोपने की कोशिश के खिलाफ ही स्वतंत्रता आंदोलन शुरू होने की बात कही. इस दौरान कई नेता उन्हें शांत कराने की कोशिश करते रहे. किसी तरह नीतीश को नीचे बैठाया गया.
नहीं हुआ इसके बाद बैठक में कोई अनुवाद
रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार के हंगामे के बाद बैठक में किसी के भी भाषण का अनुवाद नहीं किया गया. हालांकि जो नेता हिंदी में भाषण देने के लिए मशहूर हैं, वे भी विवाद से बचने के लिए अंग्रेजी में संबोधन देते हुए दिखाई दिए. लालू प्रसाद यादव ने हिंदी में भाषण दिया, लेकिन उनके भाषण का भी किसी ने अनुवाद नहीं किया. यह स्पष्ट नहीं है कि नीतीश कुमार के हंगामे को लेकर द्रमुक नेताओं ने क्या प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि बैठक के बाद भी वे मीडिया से बातचीत के लिए नहीं रुके.
लगातार नाराज चल रहे हैं नीतीश कुमार
इंडिया ब्लॉक के गठन के बाद यह पहला मौका नहीं है, जब नीतीश कुमार नाराज दिखाई दिए हैं. इससे पहले भी वे कई बैठक में और बाहर अन्य कार्यक्रमों में भी इंडिया ब्लॉक को लेकर नाराजगी जता चुके हैं. नीतीश की नाराजगी को उन्हें प्रधानमंत्री पद का चेहरा या गठबंधन का समन्वयक घोषित नहीं करने से जोड़ा जा रहा है. दरअसल नीतीश ने ही पूरे देश में घूमकर विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक गठबंधन में लाने की राह खोली थी. ऐसे में माना जा रहा था कि नीतीश ही विपक्षी गठबंधन का सर्वमान्य चेहरा बनेंगे. नीतीश ने बिहार की राजनीति से केंद्रीय राजनीति में शिफ्ट होने की तैयारी भी कर ली थी. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर डिप्टी सीएम व राजद नेता तेजस्वी यादव को सीएम पद के लिए अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके उलट अब तक उन्हें गठबंधन का समन्वयक घोषित नहीं किया गया है और विपक्ष के पीएम फेस के लिए भी मंगलवार को ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित कर दिया. नीतीश की नाराजगी का यह भी कारण माना जा रहा है.
द्रमुक की राजनीति का आधार ही है हिंदी विरोध
नीतीश कुमार के इस हंगामे के बाद भले ही द्रमुक नेताओं की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन इसका असर बड़ा होने की आशंका सभी जता रहे हैं. दरअसल द्रमुक की राजनीति का आधार हिंदी भाषा विरोध ही रहा है. तमिलनाडु की सत्ता में होने के बावजूद हालिया दिनों में भी कई बार द्रमुक नेताओं ने इसे लेकर बयान दिए हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी हिंदी भाषा के विरोध में भी पिछले दिनों कई बार बयानबाजी की है. ऐसे में नीतीश की नसीहत इंडिया ब्लॉक में आपसी तकरार का कारण बनना तय माना जा रहा है.
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