डीएनए हिंदी: सोचिए अगर आपकी आमदनी 3 हजार रुपये महीने की भी न हो लेकिन अचानक से आपको 3 करोड़ का नोटिस आयकर विभाग (Income Tax Department) भेज दे तो आपका रिएक्शन क्या होगा? जाहिर तौर पर हैरत में पड़ जाएंगे या चक्कर आ जाएगा. कुछ यही हाल हुआ है मथुरा के रहने वाले प्रताप सिंह (Rickshaw Puller Pratap Singh) के साथ.
प्रताप सिंह रिक्शा चलाते हैं. उन्हें इनकम टैक्स ने एक संस्था नाम से 3 करोड़ का नोटिस उन्हें भेज दिया. हैरानी वाली बात यह है कि वह न तो उस संस्था को जानते हैं और न ही वह उसमें काम करते हैं. प्रताप सिंह आर्थिक तौर पर बेहद पिछड़े हैं और ऐसे परिवार से आते हैं जहां दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना भी मुश्किल है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की गलती से जब 3,47,54,896 रुपये का नोटिस उनके पास पहुंचा तो वे हैरत में पड़ गए. प्रताप सिंह मानसिक तनाव से ग्रस्त हो गए कि इतना पैसे वह कहां से देंगे?
आमतौर पर अपने नंबर्स को लेकर बेहद सटीक माने जाना वाला आयकर विभाग, ऐसी गलतियां करता नहीं है. यही वजह है कि ऐसे नोटिस के बाद विभाग की किरकिरी हो रही है. एक रिक्शाचालक तो जीवनभर रिक्शा खींचकर इतनी संपत्ति न इकट्ठा कर पाए जितने का उसे नोटिस मिल गया.
नोटिस मिलने के बाद क्या था रिक्शावाले का रिएक्शन?
मथुरा के अमर कॉलोनी में रहने वाले प्रताप सिंह रिक्शा चलाते हैं. आईटी डिपार्टमेंट ने उन्हें एक नोटिस भेजा जिसमें कहा गया कि वे 3,47,54,896 रुपये का भुगतान करें. इतनी भारी-भरकम की रकम का नोटिस पाकर प्रताप सिंह के हाथ-पांव फूल गए. उन्हें समझ में ही नहीं आया कि वे क्या करें, कहां से सरकार को यह रकम चुकाएं? नोटिस मिलने से शॉक्ड हुए प्रताप सिंह इतने तनाव में आ गए कि उन्हें कुछ सूझा ही नहीं.
सोशल मीडिया पर शेयर किया शख्स ने दर्ज
प्रताप सिंह को जैसे ही इनकम टैक्स का नोटिस मिला तो उन्होंने हाईवे पुलिस स्टेशन में जाकर फ्रॉड की एक लिखित शिकायत दी. उन्होंने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी उठाया. उन्होंने एक वीडियो मैसेज में अपनी पीड़ा साझा की. उन्होंने बताया कि इतनी भारी-भरकम रकम को अब वे कैसे भरेंगे.
प्रताप सिंह ने कहा, 'मैंने पैन कार्ड के लिए 15 मार्च को बकलपुर जनसुविधा केंद्र में आवेदन किया था. जन सुविधा केंद्र तेज प्रकाश उपाध्याय चलाते हैं. बैंक ने पैन कार्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. मुझे एक रंगीन पैनकार्ड की फोटोकॉपी मिली जिसे शाखा में कार्यरत एक दूसरे शख्स ने सौंपा.'
प्रताप सिंह ने यह भी कहा, 'मैं अनपढ़ हूं. मैं असली पैन कार्ड और पैन कार्ड की कलर्ड फोटोकॉपी में अंतर नहीं कर सकता हूं. मुझे अपना असली पैन कार्ड भी लेने के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े.'
क्यों फंसा शख्स, क्या है पूरा मामला?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने शिकायत मिलने के बाद पूरे मामले की छानबीन शुरू की. विभाग ने जानकारी दी कि किसी ने प्रताप सिंह के आईडेंटिटी कार्ड की जानकारी चुरा ली और एक जीएसटी नंबर उनके पैन कार्ड के नाम से अलॉट कर लिया. फेक आइडेंटिटी पर बिजनेस रन करा रहे रैकेट का सालाना टर्नओवर 43 करोड़ रुपयों का है. हालांकि इस प्रकरण में प्रताप सिंह की शिकायत पर अभी तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई है. स्टेशन हाउस ऑफीसर (SHO) अनुज कुमार ने कहा कि स्थानीय पुलिस इस मामले की जांच करेगी.
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