IAF Chief Concerns on China 6th Generation Fighter Jet: पहले से ही उत्तरी सीमाओं पर बड़ी चुनौती देता जा रहा चीन अपनी सेनाओं का लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है. चीन ने अब छठी पीढ़ी का फाइटर जेट भी बना लिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. बेहद एडवांस तकनीक वाले J-36 फाइटर जेट की बदौलत उसकी वायुसेना की क्षमता बेहद बढ़ गई है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा है. इसके उलट भारतीय वायुसेना अपने आधुनिकीकरण में लगातार पिछड़ रही है. इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने चिंता जताई है. उन्होंने साल 2010 में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए मंजूर किए गए स्वदेश निर्मित तेजस फाइटर जेट्स (Tejas Fighter Jets) का 40 विमानों का पहला बैच भी आज तक नहीं मिलने का जिक्र किया है. साथ ही यह मुद्दा भी उठाया है कि समय पर डिलीवरी नहीं होने से कोई भी हथियार किस तरह अपनी प्रासंगिकता खो देता है.
'रिसर्च एंड डवलपमेंट बढ़ाने की जरूरत'
एयरफोर्स चीफ सिंह ने 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में बेहद साफ शब्दों में कहा है कि भारत को रिसर्च एंड डवलपमेंट में बढ़ोतरी करने की जरूरत है, क्योंकि चीन जैसे विरोधी अपनी वायुसेना में भारी निवेश कर रहे हैं. इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह ने स्पष्ट शब्दो में दुख जताते हुए कहा कि साल 2009-2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 40 विमान ऑर्डर किए गए थे, लेकिन इनका पहला बैच भी आज तक हमें नहीं मिला है.
'1984 में की थी हमने तेजस की कल्पना'
एपी सिंह ने तेजस प्रोजेक्ट में हुई देरी की तरफ भी सबका ध्यान खींचा. उन्होंने कहा,'हमें 1984 में वापस जाना चाहिए, जब हमने उस विमान (तेजस) की कल्पना की थी. उसके 17 साल बाद 2001 में इसने पहली उड़ान भरी और 15 साल बाद 2016 में इसे वायुसेना में शामिल करना शुरू किया गया. आज 2024 में भी मेरे पास पहले 40 विमान नहीं हैं. यह हमारी उत्पादन क्षमता है.' उन्होंने कहा,'प्रौद्योगिकी में देरी इससे इनकार करने के बराबर है. मैं आश्वस्त हूं कि उत्पादन में हमें निजी कंपनियों को शामिल करने की जरूरत हैं. इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. लोग ऑर्डर खोने को लेकर सावधान रहेंगे. ऐसा नहीं होगा तो हालात कभी नहीं बदलेंगे.'
भारतीय वायुसेना पर तेजी से घट रहे हैं विमान
वायुसेना चीफ का यह कमेंट ऐसे समय में आया है, जब भारतीय वायुसेना पर विमानों की संख्या तेजी से घट रही है. फ्रांस से राफेल विमान लेने के बावजूद वायुसेना अपनी 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृत क्षमता के बजाय 30 फाइटर स्क्वाड्रन से काम चला रही है. इसमें भी करीब 60 साल पुराने हो चुके मिग-21 फाइटर जेट शामिल हैं, जिन्हें लगातार दुर्घटनाओं के कारण 'उड़न ताबूत' कहा जाने लगा है. भारत अभी पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए सरकारी प्रक्रिया की कवायद से ही जूझ रहा है. पिछले साल मार्च में कैबिनेट से इसके विकास की मंजूरी मिलने के बावजूद अब तक डिजाइन भी तैयार नहीं हो सका है. ऐसे में यह परियोजना कितने समय में पूरी होगी, यह तय नहीं है. यदि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किए गए मल्टीफंक्शन लाइट फाइटर जेट तेजस का उदाहरण लें तो भारत में पांचवी पीढ़ी का फाइटर जेट तैयार होना दूर की कौड़ी लगता है.
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'हमें 14 साल में 40 Tejas Jet भी नहीं मिले' चीन के 6th जनरेशन फाइटर जेट्स टेस्ट करने पर बोले चिंतित IAF चीफ