डीएनए हिंदी: भारत में सेक्स जैसे विषय पर बात करने में बहुत असहजता है. सेक्स वर्कर (Sex Worker) शब्द तो और भी खराब हो जाता है. इसलिए इस बारे में बात करने में असहजता भी बहुत ज्यादा है, इतनी की सुप्रीम कोर्ट को भी एक पैनल बनाकर कुछ सिफारिशें लिखने में 5 साल लग गए. जिसके बाद भी कानून नहीं बना तो सिफारिशों को कोर्ट द्वारा अमल में लाने में 5 और साल लग जाते हैं. असहजता का आलम ये है कि साल 2014 में देश में दो मंत्रालयों के बीच सेक्स वर्कर्स के डाटा में करीब 4 गुना का अंतर है.
देश में कितने सेक्स वर्कर्स हैं ?
देश में एड्स की प्रसार को रोकने के लिए बना स्वास्थ्य मंत्रालय के एक डिवीजन NACO (National Aids Control Organisation) के अनुसार, साल 2021 तक देश में सेक्स वर्कर की संख्या 8,68,000 हैं. कुछ और पीछे जाने पर पता चलता है कि साल 2014 में PIB की ओर से जारी महिला और बाल विकास मंत्रालय की प्रेस रिलीज में बताया गया कि 10 साल पहले 2004 में की गई एक NGO की स्टडी के अनुसार देश में 2.8 मिलियन यानी 28 लाख सेक्स वर्कर हैं.
कौन से राज्य में हैं सबसे ज्यादा सेक्स वर्कर ?
NACO के अनुसार, साल 2021 तक देश की 8,68,000 सेक्स वर्कर में से 45 प्रतिशत दक्षिण भारत के 4 राज्यों में काम कर रही है. जिसमें से आंध्र प्रदेश (1,17,584), कर्नाटक (1,05,310) और तेलंगाना (1,01,696) में एक लाख से ज्यादा महिलाएं देह व्यापार कर रही हैं.
राज्य |
सेक्स वर्कर की संख्या |
आंध्र प्रदेश |
1,17,584 |
कर्नाटक |
1,05,310 |
तेलंगाना |
1,01,696 |
महाराष्ट्र |
81,320 |
तमिलनाडू |
70,892 |
पूरे भारत में |
868000 |
Source: NACO
तीन सालों में महज 5,225 महिलाओं का रेस्क्यू
NCRB के डाटा के अनुसार, साल 2017-19 के बीच में देश में 5,225 महिलाओं को देह व्यापार से निकाला गया. देश के 40 प्रतिशत रेस्क्यू महाराष्ट्र से किए गए. तेलंगाना (898) और आंध्र प्रदेश (684) देह व्यापार के रेस्क्यू के मामले सामने आए हैं.
बुद्धदेव करमास्कर बनाम प. बंगाल राज्य के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने यौन कर्मियों के लिए 19 जुलाई, 2011 को एक पैनल का गठन किया. पैनल के मोटे तौर पर तीन मुद्दों पर अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी थी.सुप्रीम कोर्ट में केस के 11 साल
- पहला - मानव तस्करी की रोकथाम
- दूसरा - देह व्यापार छोड़ने की इच्छा रखने वाले यौन कर्मियों का पुनर्वास
- तीसरा- काम जारी रखने वाले यौन कर्मियों के सम्मानजनक जीवन के लिए अनूकूल परिस्थितियां
पांच साल बाद 14 सितंबर 2016 को कमेटी की सिफारिशों के साथ अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई. जिसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि पैनल द्वारा रखे गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए एक ड्राफ्ट कानून तैयार कर लिया गया है.
फिर 6 साल के बाद तक कानून न बनने पर 25 मई, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले की तरह अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर अपनी शक्तियों का प्रयोग करके दिशा निर्देश जारी किए. ये दिशा निर्देश कानून के न बनने की सूरत तक जारी रहेगें.
UN Women भी कंफ्यूज
कंफ्यूजन की स्थिति देश में ही नहीं बल्कि UN के स्तर पर भी है. 25 अक्टूबर 2019 को UN Women की निदेशक म्लाम्बो नागुका ने कहा, "हम वेश्यावृत्ति / यौन कार्य के मुद्दे पर अलग अलग विचारों और चिंताओं से अवगत हैं और सभी संबंधितों के विचारों के प्रति सजग है . इसी कारण से संयुक्त राष्ट्र महिला ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) वेश्यावृत्ति/यौन कार्य के गैर-अपराधीकरण/वैधीकरण के पक्ष या विपक्ष में कोई रुख नहीं अपनाती है."
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देश में कितने Sex Worker? इनके अधिकारों पर राय रखने में UN Women भी कंफ्यूज