डीएनए हिंदी: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने कहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्य की अलग विधानसभा (Haryana Assembly) बनाने के लिए जमीन देने की बात स्वीकार कर ली है. खट्टर के इस बयान पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने भी अमित शाह से मांग कर डाली है कि पंजाब की अलग विधानसभा (Punjab Assembly) बनाने के लिए चंडीगढ़ में प्लॉट दिया जाए. आपको बता दें कि 1966 में पंजाब और हरियाणा अलग-अलग राज्य बनाए जाने के बाद से अभी तक दोनों राज्यों की विधानसभाओं का काम एक ही परिसर से चलता है. दोनों राज्यों की शिकायत है कि इससे उन्हें अपने कामकाज करने में समस्याएं आती हैं. राजधानी को लेकर भी दोनों राज्यों के बीच लंब समय से संघर्ष चलता आ रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान के जयपुर में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक की अध्यक्षता में कहा कि हरियाणा के अतिरिक्त विधानसभा भवन के लिए चंडीगढ़ में जमीन देखी जाएगी. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि विधानसभा के नए भवन के लिए जमीन की पहचान कर ली गई है, अब गृहमंत्री की घोषणा के बाद जल्द ही विधानसभा का काम शुरू होगा.
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विधानसभा में कम है जगह
खट्टर ने कहा कि लगभग 56 साल बीत जाने के बाद भी हरियाणा को मौजूदा भवन में पूर्ण अधिकार नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मौजूदा भवन में 24,630 वर्ग फुट क्षेत्र हरियाणा विधानसभा सचिवालय को दिया गया है लेकिन हरियाणा के हिस्से में आने वाले 20 कमरे अभी भी पंजाब विधानसभा के कब्जे में हैं. ऐसे में कर्मचारियों सहित विधायकों, मंत्रियों और समितियों की बैठक के लिए पर्याप्त जगह की कमी है.
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हरियाणा के लिए अलग विधानसभा का ऐलान सुनते ही पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी गृहमंत्री अमित शाह से मांग कर डाली. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि हरियाणा की तर्ज पर पंजाब के लिए भी अपनी विधानसभा बनाने के लिए चंडीगढ़ में जमीन आवंटित की जाए. लंबे समय से मांग है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को भी अलग-अलग किया जाए. इसके लिए भी कृपया करके केंद्र सरकार चंडीगढ़ में जमीन मुहैया करवाए.'
क्या है विधानसभा और राजधानी का विवाद?
दरअसल, हरियाणा और पंजाब के अलग-अलग राज्य बनाए जाने के बावजूद दोनों राज्यों की राजधानी एक ही है यानी कि चंडीगढ़. अविभाजित पंजाब की राजधानी भी चंडीगढ़ ही था. बाद में जब 1966 में हरियाणा बना तो दोनों राज्यों ने चंडीगढ़ पर दावा किया. शुरुआत में यह फैसला हुआ था कि हरियाणा की अलग राजधानी बनाई जाएगी और चंडीगढ़ को पंजाब के हवाले कर दिया जाएगा. हालांकि, कई अड़चनों की वजह से यह मामला टलता गया और आज तक इसका कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है.
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अब हरियाणा और पंजाब की विधानसभा भी साझे में ही चलती है. ऐसे में विधायकों के लिए कमरों, दफ्तरों और अन्य कामकाज के लिए जगह की भारी कमी है. यही कारण है कि हरियाणा सरकार नई विधानसभा बनाने की दिशा में काम कर रही है. हालांकि, अभी भी दोनों में से एक भी राज्य चंडीगढ़ से अलग जाकर अपनी राजधानी बनाने को तैयार नहीं हैं.
हरियाणा में विधानसभाओं की संख्या भी बढ़ेगी?
इसके अलावा, 2026 में एक नया प्रस्ताव पारित किया जाएगा, जिसके आधार पर 2029 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे. अनुमान है कि नए प्रस्ताव में हरियाणा की जनसंख्या के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 126 हो जाएगी. वहीं, लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 14 रहेगी. खट्टर ने कहा, वर्तमान में विधानसभा में 90 विधायक हैं. मौजूदा इमारत में पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है, जिसे पंजाब और हरियाणा द्वारा संयुक्त रूप से साझा किया गया है. इतना ही नहीं, विरासत की स्थिति के कारण इमारत का विस्तार करना भी संभव नहीं है.
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Haryana को विधानसभा के लिए मिलेगी जमीन, भगवंत मान ने भी कर डाली मांग, जानिए क्या है पूरा मामला