डीएनए हिंदीः वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) और मथुरा (Mathura) के मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर देवबंद (Deoband) में उलेमाओं की बैठक के बाद संत समाज भी लामबंद हो गया है. साधू-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) भी जल्द ही इस मुद्दे को लेकर बैठक करने जा रही है.
क्यों लिया गया फैसला
अभी तक ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा मामले का हल कोर्ट के माध्यम से ही निकलने का इंतजार किया जा रहा था. अखाड़ा परिषद के साथ ही ज्यादातर साधू-संत काशी और मथुरा के मामले को लेकर अदालत कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे. पिछले कुछ समय से एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और हाल में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान के बाद संत समाज काफी आहत है. वहीं देवबंद में जमीयत-ए-उलेमा के जलसे ने इन्हें रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया. संतों का ऐसा मानना है कि विपक्ष सरकार-प्रशासन और न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है.
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हो सकते हैं बड़े ऐलान
संत समाज की और से जल्द इस मामले में बैठक आयोजित की जा सकती है. माना जा रहा है कि यह बैठक जून के तीसरे हफ्ते में प्रयागराज और हरिद्वार में हो सकती है. जून महीने के तीसरे हफ्ते में संगम नगरी प्रयागराज में प्रस्तावित इस बैठक में काशी और मथुरा के पुराने मंदिरों को आजाद कराने के लिए समूचे देश में जन जागरण अभियान चलाए जाने का ऐलान हो सकता है. इसके साथ ही हिन्दू पक्षकारों को कानूनी और आर्थिक मदद मुहैया कराए जाने का औपचारिक ऐलान किया जा सकता है.
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Gyanvapi: जमीयत के जलसे के जवाब में अखाड़ों के साधू-संत करेंगे बैठक, ले सकते हैं बड़ा फैसला