डीएनए हिंदी: पूर्व सीजेआई Ranjan Gogoi ने अपनी आत्मकथा में कई राज खोले हैं. अपने पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की शिकायत की सुनवाई वाले पीठ में शामिल होने को गलती माना. साथ ही, उन्होंने जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और अयोध्या पर फैसले का भी जिक्र किया है.
''यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई का हिस्सा नहीं होना चाहिए था''
महिला के यौन शोषण के आरोपों की सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा बनने पर पूर्व चीफ जस्टिस ने निराशा जताई. उन्होंने कहा, ''मुझे उस बेंच में नहीं होना चाहिए था (जिसने उनके खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई की थी). बार और बेंच में मेरी 45 साल की कड़ी मेहनत बर्बाद हो रही थी. मैं पीठ का हिस्सा नहीं होता, तो शायद अच्छा होता. हम सभी गलतियां करते हैं. इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है.' अपनी आत्मकथा ''जस्टिस फॉर द जज'' के ल़़ॉन्च पर जस्टिस गोगोई ने सभी विवादास्पद मुद्दों पर बात की.
अयोध्या फैसले के बाद शानदार डिनर और वाइन पार्टी
अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा की सदस्यता के बदले अयोध्या पर फैसला सुनाने संबंधी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कि इस फैसले के बाद फैसला देने वाले साथियों के साथ होटल ताज मानसिंह गए थ. वहां उन्होंने अपने कलीग्स को लजीज चाइनीज खाना और बेहतरीन वाइन की पार्टी दी थी. उस दावत का सबने लुत्फ लिया.
यौन शोषण के आरोप का यह था मामला
बता दें कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने न्यायमूर्ति गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ गठित की थी. बाद में उन्हें जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की एक आंतरिक समिति ने क्लीन चिट दे दी थी.
विरोधियों पर किया वार, 'सेल्फी वाले बन गए एक्टिविस्ट'
जस्टिस गोगोई ने कहा कि वह सीजेआई के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री से एक बार भी नहीं मिले थे. अयोध्या फैसले के बदले सांसद पद के आरोपों पर उन्होंने पलटवार किया. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी लेने वाले अब एक्टिविस्ट जज हो गए हैं. जब प्रधानमंत्री राफेल फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे, तब लोगों ने दावा किया था कि दाल में कुछ काला है'.
उन्होंने कहा, ‘दाल तो काली ही होती है, नहीं तो क्या दाल है. वह (प्रधानमंत्री) 26 नवंबर को संविधान दिवस पर आए थे. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है. ऐसे जज भी थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी ली थी और अब वे एक्टिविस्ट जज हैं.’
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