डीएनए हिंदी: मेरठ के ज्ञान चंद को अहमदाबाद के एक शख्स ने जिंदगी दी. अहमदाबाद में 44 साल के एक शख्स की मौत ब्रेन हैमरेज से हुई लेकिन उन्होंने ज्ञान चंद को जीवनदान दे दिया. उत्तर भारत में पहली बार किसी अस्पताल ने खास मशीनों की मदद से एक व्यक्ति में दोनों फेफड़ों को ट्रांसप्लांट किया है.  

यह है पूरा केस
गुजरात के अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में 44 साल के एक व्यक्ति ने ब्रेन हैमरेज से दम तोड़ दिया था लेकिन वो दिल्ली में भर्ती किसी दूसरे बीमार को जिंदगी दे गए. इस काम को अंजाम देने में डॉक्टरों की मेहनत है. साथ ही, अहमदाबाद प्रशासन, सिविल अस्पताल के डॉक्टर, अहमदाबाद और दिल्ली एयरपोर्ट के साथ तालमेल और एंबुलेंस के ड्राइवरों की सूझबूझ और तत्परता भी अहम है. 

ज्ञानचंद को थी सांस लेने की बीमारी 
55 साल के ज्ञानचंद मेरठ के रहने वाले हैं. इन्हें COPD यानी सांस नहीं आने की बीमारी थी. पिछले साल कोरोना की वजह से इनके दोनों फेफड़े बेकार हो गए थे. तब से ये हर वक्त ऑक्सिजन सपोर्ट या बाईपैप की मदद से ही सांस ले पा रहे थे. 22 दिसंबर को अंगदान की नेशनल रजिस्ट्री सिस्टम पर जैसे ही अहमदाबाद से एक व्यक्ति की असमय मौत की वजह से उसके फेफड़ों के दान होने का अलर्ट आया, दिल्ली से मैक्स अस्पताल के डॉक्टरो ने अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल में संपर्क किया था.

3 घंटे में ग्रीन कॉरिडोर बना पहुंचाया फेफड़ा
दिल्ली के मैक्स अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक नांगिया ने बताया, 22 दिसंबर को ही 3 घंटे में प्लेन और अहमदाबाद और दिल्ली में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑर्गन अस्पताल तक पहुंचाए जा पाए. ऑपरेशन के बाद 10 दिन तक मरीज को ECMO यानी Extracorporeal membrane oxygenation की मदद पर रखा गया था. ये मशीन artificial lungs की तरह काम करती है. कई दिनों के फॉलोअप के बाद ज्ञानचंद अब एकदम ठीक हैं और खतरे से बाहर हैं. 

इनपुट: पूजा मक्कड़

Url Title
First time in North India Max hospital performs bilateral lung transplant surgery
Short Title
उत्तर भारत में पहली बार Bilateral Lung Transplant, अहमदाबाद से दिल्ली आई सांसों
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Representative Image
Date updated
Date published