डीएनए हिंदी: पंजाब में सरकार बनाने के बाद से ही भगवंत मान के सामने एक से बढ़कर एक चुनौतियां सामने आ रही हैं. राज्य का खजाना खाली होना तो पहले से एक बड़ा मुद्दा है, उसके बाद पटियाला में हिंसा की घटना ने मान सरकार के सामने बड़ी समस्या खड़ी की. इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा भी पंजाब सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहा है. इससे, पंजाब सरकार को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं इस बार का 'किसान आंदोलन' उन्हीं के खिलाफ न खड़ा हो जाए.
किसान संगठनों ने पंजाब सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. कहा गया कि सरकार गेहूं की खरीद पर बोनस, बिजली सप्लाई, बासमती पर एमएसपी समेत तमाम मुद्दों पर पंजाब सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है. इसी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कई किसान संगठनों ने आंदोलन का एलान किया है. किसान संगठनों की ओर से कहा गया है कि 17 मई से चंडीगढ़ में दिल्ली की तरह ही किसान आंदोलन शुरू किया जाएगा.
खूब किया था किसानों का समर्थन, अब AAP सरकार के खिलाफ आंदोलन
किसान आंदोलन के समय आम आदमी पार्टी ने किसानों का खूब समर्थन किया था. दिल्ली के तीनों बॉर्डर पर जमे किसानों को पानी का टैंकर पहुंचाने से लेकर कई तरह की मदद में दिल्ली की सरकार और आम आदमी पार्टी के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे. कहा जाता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत में किसानों का भी अहम योगदान रहा है. ऐसे में अब पंजाब की AAP सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन के एलान से भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां बढ़ गई हैं.
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पंजाब सरकार ने नहीं निभाया वादा
30 अप्रैल को लुधियाना में हुई 20 किसान संगठनों की बैठक में आंदोलन करने का फैसला लिया गया है. यह बैठक भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल अगुवाई में हुई. बैठक में कई अन्य किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.
लाखोवाल ने बताया कि 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक हुई थी. सरकार ने भरोसा दिलाया था कि गेहूं की फसल पर 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस, मक्का और बासमती आदि पर एमएसपी दिया जाएगा, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया.
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लाखोवाल ने आगे कहा कि राज्य में बिजली की समस्या से भी किसानों का नुकसान हो रहा है. किसानों के और भी कई मुद्दे हैं जिनका सरकार हल नहीं निकाल पाई है. लाखोवाल ने कहा, 'हमने सरकार को एक महीने का समय दिया है कि वे हमारी मांग पूरी करें. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो हम दिल्ली की तरह ही चंडीगढ़ में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर देंगे.'
किसान आंदोलन के आगे झुकी थी मोदी सरकार
आपको बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पहले पंजाब में ही आंदोलन शुरू हुआ था, बाद में यह आंदोलन दिल्ली के बॉर्डर पर शिफ्ट हो गया था. किसानों के आंदोलन के आगे नरेंद्र मोदी सरकार को झुकना पड़ा था और तीनों कानून वापस ले लिए गए थे. हालांकि, किसान संगठन एमएसपी और कई अन्य मुद्दों पर अभी भी मांग कर रहे हैं.
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Kisan Andolan: पंजाब की Bhagwant Mann सरकार के खिलाफ दिल्ली जैसा आंदोलन करेंगे किसान