डीएनए हिंदी: बीते कुछ दिनों में आपने 0 रुपये के नोट (Zero Rupee Note) के बारे में सुना होगा. इसकी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर देखने को मिली. ऐसे में इसे लेकर कई लोगों के मन यह सवाल जरूर आया होगा कि जिस नोट की कोई कीमत ही नहीं है, आखिर उसकी क्या जरूरत हो सकती है? 

बता दें कि यह नोट हाल फिलहाल नहीं बल्कि साल 2007 में छापे गए थे. साथ ही यह नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नहीं बल्कि तमिलनाडु के एक एनजीओ फिफ्थ पिलर (Fifth Pillar NGO in India) ने छापे थे. हिन्दी, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम भाषा में छपे 5 लाख के करीब ये नोट लोगों में निशुल्क बांटे गए थे. इन अनोखे नोट को छापने के पीछे एनजीओ की खास वजह रही. 

एनजीओ का कहना था कि ये नोट भ्रष्ट लोगों के लिए हैं. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बाजार जैसी जगहों पर इन नोटों को बांटते हुए एनजीओ ने लोगों से कहा कि अगर आपसे कभी कोई रिश्वत मांगे तो उन्हें यही नोट पकड़ा दें. इससे वो लोगों को जागरूक करना चाहते थे. 

कैसा दिखता है 0 रुपये का नोट?

जीरो रुपये के नोट पर एनजीओ का नाम लिखा था. आम नोटों की तरह इस नोट पर भी महात्मा गांधी की तस्वीर लगाई गई थी. नोट के ऊपर 'हर स्तर से भ्रष्टाचार का खात्मा करें' लिखा गया था जबकि पीछे की तरफ अधिकारियों के नंबर लिखे थे. साथ ही नोट पर लिखा था, 'रिश्वत ना लेने की कसम खाते हैं और रिश्वत ना देने की कसम खाते हैं'. लोगों को बताया गया था कि जब भी कोई रिश्वत मांगे तो उन्हें यही नोट थमाई जाए. 

वहीं नोट को देखने के बाद हर कोई अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहा था. किसी ने इसे अजीब बताया तो किसी ने एनजीओ की इस अनोखी पहल की सराहना की.

Url Title
Fact Check Why were zero rupee notes printed in India
Short Title
Fact Check: भारत में क्यों छापे गए थे '0 रुपये' के नोट?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Fact Check: भारत में क्यों छापे गए थे '0 रुपये' के नोट? क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत?
Date updated
Date published
Home Title

Fact Check: भारत में क्यों छापे गए थे '0 रुपये' के नोट? क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत?