डीएनए हिंदी : सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP)पर बड़ा फ़ैसला देते हुए आज सरकार को निर्देश दिया है कि इसका निर्धारण एक जुलाई 2019 से हो और तीन महीने के भीतर सारी बकाया राशि यानी एरियर चुकाए जाएं. सर्वोच्च न्यायलय का कहना है कि वन रैंक वन पेंशन सरकार के नीतिगत फ़ैसले (पॉलिसी डिसिजन) का हिस्सा है और कोर्ट का यह काम नहीं कि वह पॉलिसी सम्बंधित मामलों में न्यायिक निर्देश दे.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश को OROP पर सरकार के फैसले को बरक़रार रखने जैसा माना जा रहा है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस DY चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कान्त और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ कर रही थी.
बड़ा मुद्दा रहा है OROP
गौरतलब है कि OROP अवकाश प्राप्त सैनिकों के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है. कई अवकाश प्राप्त सैनिकों ने इसके लिए महीनों आंदोलन किया है.
क्या है वन रैंक वन पेंशन (OROP) ?
वन रैंक वन पेंशन(OROP) सैनिकों द्वारा समान रैंक और समान सेवा-समय के लिए समान पेंशन की मांग है, चाहे सेवानिवृत्ति कभी भी हुई हो. भारतीय सैन्य सेवा और उसके रिटायर हो चुके कर्मियों की बेहद पुरानी मांग रही है. माना जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उसी फ़ैसले को लागू रखा जो सरकार ने 7 नवम्बर 2015 को ज़ारी अधिसूचना में सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के समक्ष पेश किया था.
क्या रही सैनिकों की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कई भूतपूर्व सैनिकों ने दुःख जताया है. वे इसे दुर्भाग्यपूर्ण और हारा हुआ फ़ैसला मान रहे हैं. उनका कहना है कि इस मसले पर सरकार ने शुरू से नकारात्मक भूमिका निभाई.
- Log in to post comments

Supreme Court (Photo-PTI)