डीएनए हिंदी: 17 फरवरी से Delhi University के कॉलेज खोलने का फैसला एक ओर स्टूडेंट्स के बीच एक्साइटमेंट लेकर आया है तो वहीं दूसरी तरफ इसने उनकी टेंशन भी बढ़ा दी है. टेंशन इसलिए क्योंकि कॉलेज केवल 20-25 दिनों के लिए खुलने वाला है और इतने कम समय के लिए कोई पीजी या घर किराये पर लेना बच्चों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन गया है. समस्या केवल रहने के जुगाड़ की नहीं है इस मुश्किल समय का फुल फायदा लेने के लिए पीजी मालिकों ने भी रेट बढ़ा लिए हैं. कुछ लोग कोरोना में हुए घाटे का रोना रो रहे हैं तो वहीं कुछ खालिस फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं. मार्केट में पीजी का रेट इस वक्त 17 से 18 हजार के बीच चल रहा है.
खुशी और एक्साइटमेंट के साथ आई इस नई मुसीबत को लेकर जब हमने स्टूडेंट्स से बात की तो उन्होंने बताया कि जल्दबाजी में लिया गया यह फैसला कई स्टूडेंट्स के लिए परेशानी की वजह बन चुका है. दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में बीए प्रोग्राम, फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट संजना मिश्रा झांसी की हैं और एकाएक दिल्ली आना उनके लिए एक बड़ा चैलेंज बन गया है. उन्होंने कहा, मिरांडा हाउस के पास जीटी रोड, कमला नगर और मुकर्जी नगर में पीजी के रेट बहुत हाई हैं. कॉलेज केवल 20 दिन के लिए खुल रहा है. इतने दिन तो नई जगह तालमेल बिठाने में ही लग जाता है. दिल्ली नया शहर है घरवालों को भी टेंशन होगी.
संजना ने कहा, मुझे लगता है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है. खासतौर पर फर्स्ट ईयर वालों के लिए ज्यादा मुश्किल है. 20 दिन के ऑफ लाइन क्लासेज के बाद फिर एग्जाम के लिए ऑनलाइन मोड में स्विच करना होगा. अभी हम ऑनलाइन मोड में हैं तो ऐसे ही चलना चाहिए. एग्जाम के बाद कॉलेज खुलते तो थोड़ा समय मिल जाता. मछली को भी एक्वेरियम में डालो तो पुराना पानी रखने को कहा जाता है. स्टूडेंट के लिए बिल्कुल नए माहौल में ढलना मुश्किल होगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा शुभांगी के लिए दिल्ली का सफर आसान होगा. उनका भाई यहां रहता है और वह अपनी मां के साथ सीधे वहीं चली जाएंगी. फर्स्ट ईयर की शुभांगी कानपुर में रहती हैं. उनका कहना है कि पहली बार कॉलेज जाने का सपना तो हमेशा देखा था लेकिन यह इस तरह सच हुआ कि एक्साइटमेंट से ज्यादा टेंशन हो रही है. आर्थिक तौर पर भी यह एक बड़ा झटका है दिल्ली आकर देखूंगी कि कहां रहना है?
शुभांगी की क्लासमेट वैशाली बरेली में रहती हैं. उन्होंने भी अभीतक रहने का कोई इंतजाम नहीं किया है. उन्होंने बताया, पीजी को लेकर लोगों से बात हो रही है लेकिन ऑनलाइन और तस्वीरों पर भरोसा नहीं कर सकते. डिमांड इतनी बढ़ गई है कि सभी मनमाने पैसे मांग रहे हैं. डबल बेड वाले रूम के लिए 19 हजार रुपए तक मांगे जा रहे हैं और सुविधाएं चाहिए तो हजार बढ़ाते जाइए. फिलहाल 20 दिनों की ही बात है ऐसे में किराया पूरे एक महीने का देना होगा. कुल मिलाकर यह डील बच्चों के लिए घाटे का सौदा ही साबित होगी क्योंकि 20 दिन बाद एग्जाम की तैयारी के लिए छुट्टियां पड़ने वाली हैं और उन्हें वापस अपने ही घर ही लौटना होगा. एग्जाम ऑनलाइन ही होंगे. वैशाली का भी यही मानना है कि कॉलेज अप्रैल से खुलते तो बढ़िया रहता. उनके मुताबिक सारा शेड्यूल डिस्टर्ब हो गया है और दिमाग में टेंशन चल रही है. फर्स्ट ईयर वालों के लिए इतनी जल्दी अडजस्ट करना मुश्किल होगा. कॉलेज को थोड़ा टाइम देना चाहिए था. कम से कम दो महीने का टाइम दिया होता तो बेहतर होता. हमारे कई क्लासमेट देश के अलग-अलग कोनों से हैं. उनके बारे में भी सोचना चाहिए था.
स्टूडेंट की इस मुश्किल को सुनने के बाद हमने पीजी मालिकों से मार्केट का हाल जानने की कोशिश की. अमन मलिक जो दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में पीजी चलाते हैं उन्होंने कहा कि बच्चे इस वक्त बहुत ही डेस्परेट हैं. उन्हें रहने के लिए ठिकाना चाहिए लेकिन हम इतने बच्चों की मदद नहीं कर पा रहे हैं. हमे किसी को ना कहना बुरा लगता है लेकिन पहले बिजनेस डाउन था और अब अचानक हमारे लिए सबकुछ मैनेज करना मुश्किल हो गया है. अपने इलाके में पीजी का मार्केट रेट उन्होंने 17 से 18 हजार रुपए बताया.
मुकर्जी नगर में पीजी चलाने वाले वैभव गुप्ता ने बताया कि पीजी का रेट सुविधाओं के हिसाब से बढ़ता है. बेसिक पीजी में आपको सिर छिपाने के लिए जगह मिल जाती है लेकन कोविड के माहौल में आप ऐसे ही कहीं भी नहीं ठहर सकते. साफ-सफाई और बाकी का सारा खर्च पीजी मालिक बच्चों के किराये में ही अडजस्ट करेंगे इसलिए कीमतें बढ़ रही हैं.
इससे इतर एक समस्या यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में छात्रों की जरूरतों के लिहाज से हॉस्टल की संख्या कम है. बहुत से कॉलेजों में तो हॉस्टल ही नहीं है. ऐसे में छात्रों की मजबूरी है कि उन्हें महंगे पीजी का ही सहारा लेना पड़ेगा.
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