डीएनए हिंदी: Delhi News- देश की राजधानी दिल्ली में बंदरों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में बंदरों से निजात दिलाने के नाम पर वोट मांगने वाली आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) पर लगातार इस वादे को पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में AAP के नेतृत्व वाली MCD ने बंदर पकड़ने वालों की भर्ती शुरू करने की तैयारी की है. खास बात ये है कि MCD ने बंदर पकड़ने वालों के लिए देश में सबसे ज्यादा रकम का ऑफर तैयार किया है.
क्यों पड़ रही है MCD को जरूरत?
दरअसल अब तक बंदर पकड़ने का काम दिल्ली फॉरेस्ट व वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट करता था, लेकिन वन विभाग ने वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 2022 संशोधन के बाद कुछ दिन पहले मकाऊ मंकी (macaque monkey) को जंगली के बजाय शहरी जानवर की श्रेणी में शामिल कर दिया है. इसके चलते अब बंदर पकड़ने की जिम्मेदारी MCD के सिर आ गई है. यह कदम शहरी इलाकों में बंदरों के आंतक पर ज्यादा प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है.
क्या हो रही है तैयारी
Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक, MCD जल्द ही बंदर पकड़ने वालों (monkey catchers) की भर्ती का अभियान शुरू करने जा रही है ताकि उसकी आवारा जानवर पकड़ने वाली टीम मजबूत हो सके. फिलहाल MCD के पास केवल 9 मंकी कैचर हैं, जो दिल्ली नगर निगम के दायरे में आने वाले पूरे इलाके की जिम्मेदारी संभालते हैं. रिपोर्ट में एक वरिष्ठ नगर निगम अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि अब MCD के सभी 12 प्रशासनिक इलाकों में एक-एक टीम लगाने की योजना है. मंकी कैचर की भर्ती के लिए आगामी सप्ताह में पब्लिक नोटिस और विज्ञापन जारी करने की प्लानिंग की गई है.
एक बंदर पकड़ने पर मिलेंगे 2,400 रुपये
अधिकारी ने बताया है कि बंदर पकड़ने के लिए भर्ती किए जाने वालों को हर बंदर पकड़ने पर 2,400 रुपये दिए जाएंगे, जो देश में मंकी-कैचिंग के लिए सबसे ज्यादा फीस है. पकड़े गए बंदरों को असोला भट्टी रीजन में रेस्क्यू किया जाएगा.
बंदरों के हमले में 2007 में हो गई थी डिप्टी मेयर की मौत
दिल्ली में बंदरों का आतंक पिछले कई दशक से बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ा है. यह आतंक इस कदर है कि साल 2007 में तत्कालीन डिप्टी मेयर एसएस बाजवा की बंदर के हमले से बचते समय अपने घर के टैरेस से गिरकर मौत हो गई थी. बाजवा की मौत के बाद भी बंदरों को पकड़कर रिलोकेट करने का अभियान चलाया गया था. उस समय 21,000 से ज्यादा बंदर पकड़े गए थे. इन सभी को असोला भट्टी वाइल्डलाइफ सेंचुरी में छोड़ा गया था, लेकिन तुगलकाबाद जंगल में दीवार नहीं होने और खाने के नेचुरल सोर्स नहीं होने के चलते इन बंदरों के समूह आसापस के इलाकों में घुस गए थे. इसे लेकर बेहद हंगामा हुआ था.
हर साल पकड़े जाते हैं दिल्ली में 500 बंदर
दिल्ली में बंदरों की जनसंख्या का कोई ऑफिशियल डाटा मौजूद नहीं है, लेकिन MCD डाटा के हिसाब से हर साल करीब 200 से 500 बंदर पकड़े जाते हैं. हालांकि MCD के पास पर्याप्त मंकी कैचर नहीं होने के चलते यह आंकड़ा बेहद कम है.
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